राजस्थान:अशोक गहलोत ने फिर मार लिया दांव ! क्या टूट गया सचिन पायलट का सपना

Ashok Gehlot and Sachin Pilot Tussle:बीते सितंबर में जब कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में अशोक गहलोत का नाम आगे चल रहा था, तो राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के लिए तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य के प्रभारी अजय माकन और मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पर्यवेक्षक बनाकर जयपुर भेजा था।

सचिन पायलट और अशोक गहलोत की बढ़ेगी खींचतान !

मुख्य बातें
  • अजय माकन साल 2020 में राजस्थान के प्रभारी बनाए गए थे।
  • उन्हें यह जिम्मेदारी सचिन पायलट के बगावती तेवर से आए सियासी तूफान के बाद दी गई थी।
  • अशोक गहलोत लगता है एक बार फिर सचिन पायलट पर भारी पड़ गए हैं।

Ashok Gehlot and Sachin Pilot Tussle:अक्टूबर में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद, मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के सामने पहली चुनौती खड़ी हो गई है। अध्यक्ष चुनाव की वजह से राजस्थान में दबी आग ने अपनी तपिश दिखानी शुरू कर दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन (Ajay Makan) ने राजस्थान के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया है। माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे को लेटर लिखकर राजस्थान में काम नही करने की इच्छा जताई है। माकन ने अपने लेटर में 25 सितंबर की घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि वह विधायकों की इस घटना से आहत हैं और वह इस माहौल में वहां काम नहीं कर सकते। माकन साल 2020 में राजस्थान के प्रभारी बनाए गए थे। उन्हें यह जिम्मेदारी जुलाई 2020 में सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बगावती तेवर से आए सियासी तूफान के बाद दी गई थी। करीब पहुंच चुके विधान सभा चुनावों के पहले प्रभारी पद से माकन के इस्तीफे से साफ है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट राजस्थान में भारी पड़ गया है, जो सचिन पायलट की मंसूबों के लिए अच्छा संकेत नहीं है। कांग्रेस में प्रभारी पद बेहद अहम होता है, जो न केवल केंद्र और राज्य इकाई के बीच पुल का काम करता है, बल्कि चुनावों के समय टिकट वितरण आदि में उसकी अहम भूमिका होती है।

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25 सितंबर को क्या हुआ था

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असल में बीते सितंबर में जब कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में अशोक गहलोत का नाम आगे चल रहा था, तो राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के लिए तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य के प्रभारी अजय माकन और मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पर्यवेक्षक बनाकर जयपुर भेजा था। जहां 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री निवास पर होनी थी। लेकिन गहलोत गुट के विधायक, शांतिधारीवाल, महेंद्र राठौड़ और महेश जोशी ने विधायकों को बैठक में जाने से रोक लिया। और विधायक दल की बैठक ही नहीं हो पाई। यही नहीं पार्टी के किसी भी कदम के खिलाफ शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक कर ली थी। इसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से सार्वजनिक माफी मांगकर, खुद को अध्यक्ष पद की रेस से भी किनारे कर लिया।

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