जगदीप धनखड़ के खिलाफ कांग्रेस ने खोला मोर्चा, कहा- सभापति का रवैया पक्षपातपूर्ण, नेता प्रतिपक्ष का माइक हो जाता है बंद
राज्यसभा में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी की सदस्य जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ के बोलने के लहजे पर आपत्ति जताई जिसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। सभापति ने विपक्ष को मर्यादित आचरण करने के लिए कहा। वहीं, विपक्षी सदस्यों ने अपनी बात रखने की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया।
ओपी धनखड़ पर कांग्रेस ने लगाए कई गंभीर आरोप
कांग्रेस के अजय माकन ने राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं। आज हुए राज्यसभा में हंगामे के बाद विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। कांग्रेस ने दावा किया कि नेता प्रतिपक्ष को सदन में बोलने नहीं दिया जाता है। उनका माइक बंद कर दिया जाता है।
अजय माकन ने क्या-क्या आरोप लगाए
अजय माकन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज राज्य सभा में जो भी हुआ, वह अप्रत्याशित था। तमाम अपोजीशन पार्टीज को ऐसा लगा कि सभापति महोदय पक्षपातपूर्ण उनका रवैया है और सभापति को, राज्य सभा जैसे सदन का जो कि पूरे के पूरे देश के अंदर, राज्य सभा जो पूरे देश के अंदर एक ऐसा सदन है जो मापदंड तय करता है पूरे देश के अंदर, सभी सदनों को किस प्रकार से चलाया जाए, वहां पर सभापति महोदय को कम से कम किसी भी पक्ष का साथ नहीं देते हुए नजर आना चाहिए और यह केवल कांग्रेस पार्टी को अकेले ऐसा महसूस नहीं हुआ, तमाम विपक्षी पार्टी को, उनके नेताओं को ऐसा महसूस हुआ है कि सभापति महोदय का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा है और विपक्ष को जो भूमिका, जो तबज्जो, जो इम्पोर्टेंस मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही और अगर राज्य सभा के अंदर, सदन के अंदर विपक्ष की आवाज अगर पूरी तरीके से नहीं गूंजेगी, तो लोकतंत्र कैसे चलेगा।
लोकतंत्र कैसे जिंदा रहेगा?- माकन
माकन ने आगे कहा कि परिपाटी जो राज्य सभा चलती है उसको देखकर के पूरे देश के अंदर तमाम सदन और तमाम सदनों में बैठने वाले अध्यक्ष उसी तरीके का अनुसरण करते हैं और अगर राज्य सभा के अंदर विपक्ष को ऐसा लगेगा कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है, तो पूरे हिंदुस्तान में प्रदेशों के अंदर भी जो सदन है, वहां पर भी कैसे लोकतंत्र जिंदा रहेगा, आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है। इस पूरे वाक्या को अच्छी तरीके से हमारे डिप्टी लीडर प्रमोद तिवारी जी ने देखा है और मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि इसके बारे में विस्तार से आप सब लोगों के सामने और देश की जनता के सामने बात रखें।
विरोधी दल के नेता की आवाज को दबाया जा रहा है-प्रमोद तिवारी
प्रमोद तिवारी ने कहा कि बहुत स्पष्ट है यह संसदीय परंपरा भी है, नजीर भी है और स्पष्ट आश्वासन भी है सदन के अंदर कि नेता विरोधी दल और नेता सदन जब सदन में कोई बात अपनी रखना चाहें तो उन्हें और सांसदों पर तजरीह मिलती है, प्राथमिकता मिलती है। परंतु इधर काफी दिनों से ऐसा हो रहा है कि हमारे नेता विरोधी दल, जिनको 50 वर्ष का संसदीय अनुभव है, जिनका मुख्य उद्देश्य एक ही रहता है कि किसी तरह देश के पीड़ित, शोषित, गरीबों की आवाज वह उठाएं, पर उनका माइक बंद कर दिया जाता है, बोलने की अनुमति नहीं मिलती पहले,बात अपनी रख नहीं पाते, उसके पहले माइक बंद हो जाता है।
घनश्याम तिवारी पर भी कांग्रेस ने घेरा
आगे तिवारी ने कहा कि आज की घटना, इसके दो-तीन दिन पहले भारतीय जनता पार्टी के सदस्य घनश्याम तिवारी ने, माननीय नेता विरोधी दल के लिए जिन शब्दों का चयन किया, ना तो वह भाषा अच्छी थी, ना भंगिमा अच्छी थी, ना टोन अच्छी थी। वह अपमानजनक, अशिष्ट और पूरी तरीके से अस्वीकार्य थी, जिसके लिए माननीय नेता विरोधी दल की तरफ से, हम लोगों की तरफ से एक विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया था। आज जानना चाहा विपक्ष ने कि उस पर क्या निर्णय हुआ है। अभी निर्णय आया नहीं, अगर लिखित है तो उसका जवाब लिखित आना चाहिए, क्योंकि सदन आज या सोमवार को स्थगित होना था और यह आश्वासन था कि जल्दी आ जाएगा। परंतु यह कहा गया था – कि इस सदन के बाहर चेंबर में तिवारी ने यहा कहा था कि मैं जो कुछ गलत हुआ, मैं उसके लिए माफी मांगने को तैयार हूं। मेरी भाषा में या मेरी, तो उसी को अनुरोध किया गया कि जो बात उन्होंने वहां कही है सदन के बाहर, चूंकि उन्होंने पहले सदन के अंदर कही थी, तो सदन में कह दें, वह सदन की संपत्ति बन जाए, सबकी जानकारी में आ जाए। यही बात नेता विरोधी दल कह रहे थे, यही बात सारे दल के लोग कह रहे थे, मैंने भी उनकी बात का समर्थन किया। वरिष्ठतम सदस्य जया बच्चन जी, जिनका यह चौथा टर्म या पांचवा टर्म है, उन्होंने भी यही कहा कि हमें अपने कर्तव्यों के निर्वहन के समय कुछ भाव-भंगिमा ऐसी होती है जो उचित नहीं है।
प्रमोद तिवारी ने सरकार को घेरा
आगे प्रमोद तिवारी ने सरकार को घेरते हुए कहा कि फिर उसके बाद सरकार की तरफ से निंदा प्रस्ताव लाया गया, वह सरकार का प्रस्ताव है, सदन का प्रस्ताव नहीं है, ज्यादा से ज्यादा आप कह सकते हैं कि एनडीए का प्रस्ताव है। तो अगर अपने संविधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं किया गया, लगातार नहीं किया जा रहा है, जो आपके भी संज्ञान में है, हमारे भी संज्ञान में है, पूरे देश के संज्ञान में है। जो नेता विरोधी दल को, उनके पद की मर्यादा के अनुसार, जिस तरह उन्हें बोलने में प्राथमिकता मिलनी चाहिए, नहीं मिलती। माइक बंद होता है या एक महिला सदस्य, जो वरिष्ठतम सदस्य हैं, वह अपनी बात कहें, उनकी बात पूरी होने के पहले उन्हें रोक दिया जाए, यह अनुचित है।
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