Sawal Public Ka : गुजरात का नमक खाने वाली बात सिर्फ इसलिए सही नहीं क्योंकि वो राष्ट्रपति के मुंह से निकली है। मुहावरों की भाषा जिसे समझ में आती है उसे कोई एतराज नहीं होगा। उदित राज ने ना सिर्फ राष्ट्रपति मुर्मू का बल्कि गुजरात के उन लाखों नमक मजदूरों का भी अपमान किया जो नमक बनाते हैं।
Sawal Public Ka : उदित राज ने गुजरात में दिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान पर अपमानजनक ट्वीट किया। 3 अक्टूबर को द्रौपदी मुर्मू बतौर राष्ट्रपति अपनी पहली गुजरात यात्रा पर थीं। वहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था। ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था में गुजरात के योगदान की तारीफ की थी। और उसमें जिक्र नमक का भी आया था। सबसे पहले सुनिए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा क्या था ?
गुजरात का नमक खाने वाली बात सिर्फ इसलिए सही नहीं क्योंकि वो राष्ट्रपति के मुंह से निकली है। मुहावरों की भाषा जिसे समझ में आती है उसे कोई एतराज नहीं होगा। उदित राज ने ना सिर्फ राष्ट्रपति मुर्मू का बल्कि गुजरात के उन लाखों नमक मजदूरों का भी अपमान किया जो नमक बनाते हैं। इन नमक मजदूरों में अधिकतर आदिवासी हैं। लेकिन हंगामा मचने के बाद उदित राज की सफाई आई है। उदित राज ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति के लिए नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की प्रतिनिधि पर सवाल उठाया है। वो इसे अपना निजी बयान भी बता रहे हैं।
वाह! उदित राज जी, कम से कम अपने किए पर चुप ही रहते तो ही अच्छा था। फिलहाल आप उदित राज की ये सफाई सुन लीजिए। जुलाई में जब अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए अपमानजनक शब्द कहे थे तब संसद में हंगामा हुआ था। और इसी हंगामे के बीच सोनिया गांधी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच नोंकझोंक हुई थी।
कांग्रेस का आरोप था कि सोनिया से स्मृति ने चिल्लाकर कहा था - "You don't know me, who I am" जबकि बीजेपी का आरोप था कि सोनिया ने स्मृति से चिल्लाकर कहा - "Don't talk to me." ये नोंकझोंक इसलिए हुई थी क्योंकि अधीर रंजन के बयान पर खुद को घेरे जाने पर सोनिया ने एतराज जताया था। उस दिन सोनिया ये कहती हुई सुनी गई थीं कि अधीर रंजन ने माफी मांग तो ली है। लेकिन BJP किसी भी तरह सोनिया को बख्शने के मूड में नहीं थी।
हमें हैरानी होती है कि कांग्रेस के नेता बार-बार द्रौपदी मुर्मू पर अपमानजनक बयान देते हैं। अबकी बार द्रौपदी मुर्मू को गुजरात के जिस Context में राजनीति में घसीटा गया है, उसे देखकर कांग्रेस की रणनीति पर भी मुझे हैरानी होती है। पहली बात तो ये है कि जब गुजरात में चुनाव सिर पर हैं तब कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा गुजरात से गुजर ही नहीं रही। कांग्रेस कहती रहे कि भारत जोड़ो यात्रा का मकसद चुनाव नहीं है, लेकिन गुजरात को संदेश तो जा ही रहा है।
और हमने ऊपर बात की मुहावरों की। गुजरात सरकार की को-ऑपरेरिटव सोसायटी के अमूल डेयरी की टैगलाइन है - The Taste of India. देश में आई श्वेत क्रांति में अमूल का योगदान है। और हमें लगता है कि कांग्रेस के जमाने में ही ये टैगलाइन आई - The Taste of India.जिसे पूरे देश ने राजी-खुशी स्वीकार किया।
बात गुजरात के नमक से छिड़ी है। तो मैं बता दूं कि भारत में बनने वाले 35 मिलियन टन सालाना नमक में तकरीबन 25 मिलियन टन गुजरात में बनता है। और इसके लिए करीब 5 लाख नमक मजदूर मेहनत करते हैं। इन मजदूरों में करीब 1 लाख अगाड़िया ट्राइबल होते हैं। कच्छ के करीब-करीब 50 डिग्री सेंटीग्रेड टेम्परेचर में उनका पसीना बहता है, और तब नमक उत्पादन में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंचता है। चुटकी भर नमक की कीमत को भारतीय समाज सदियों से समझता है। नमक का मोल क्या होता है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पुराना बयान आपको सुनवाती हूं।