क्या है संसद के भीतर मूर्तियों की शिफ्टिंग का विवाद? जिसके चलते मोदी सरकार पर भड़की कांग्रेस; जानें सारा माजरा

Congress vs Modi Sarkar: कांग्रेस ने संसद के भीतर मूर्तियों के स्थानांतरण को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की है। इसे एकतरफा कदम बताया गया हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि महात्मा गांधी की प्रतिमा को न केवल एक बार बल्कि दो बार हटाया गया है। आपको सारा विवाद समझाते हैं।

संसद के भीतर मूर्तियों के स्थानांतरण पर गरमाई सियासत।

Parliament News: कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि संसद परिसर के भीतर स्थित मूर्तियों को स्थानांतरित करने का निर्णय सरकार द्वारा 'एकतरफा' लिया गया और इसका एकमात्र उद्देश्य लोकतांत्रिक विरोध के पारंपरिक स्थल रहीं महात्मा गांधी और बी.आर. आंबेडकर की मूर्तियों को संसद भवन के ठीक बगल में नहीं रखना है।

मूर्ति शिफ्टिंग को लेकर क्यों शुरू हुआ सियासी बखेड़ा?

विपक्षी पार्टी का यह हमला उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा ‘प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन करने से पहले आया है। ‘प्रेरणा स्थल’ में स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य नेताओं की सभी मूर्तियां रखी जाएंगी, जिन्हें पहले संसद परिसर में विभिन्न स्थानों पर रखा गया था। कांग्रेस ने जहां मूर्तियों को उनके मौजूदा स्थान से हटाने के निर्णय की आलोचना की है, वहीं लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि विभिन्न स्थानों पर उनकी स्थापना के कारण आगंतुकों के लिए उन्हें ठीक से देखना मुश्किल हो रहा है।

सरकार पर कांग्रेस नेता ने उठा दिया गंभीर सवाल

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, चित्र और प्रतिमाओं पर संसद की समिति की आखिरी बैठक 18 दिसंबर, 2018 को हुई थी और 17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान इसका पुनर्गठन भी नहीं किया गया, जो पहली बार उपसभापति के संवैधानिक पद के बिना काम कर रही थी। उन्होंने कहा, 'आज संसद परिसर में मूर्तियों के बड़े पुनर्संयोजन का उद्घाटन किया जा रहा है। स्पष्ट रूप से यह सत्तारूढ़ सरकार द्वारा एकतरफा लिया गया निर्णय है।'

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