कांग्रेस में लौटेगा जिलाध्यक्षों का दौर, सत्ता में वापसी के लिए राहुल गांधी का फॉर्मूला; लिए 3 बड़े फैसले!
कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के बाद झटके पर झटका लगा है। किसी भी राज्य में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है। दिल्ली हार के बाद कांग्रेस एक बार फिर से संगठन को मजबूत करने के लिए तैयारियों में जुटी है।



पुराने रास्तों पर अब फिर से चलेगी कांग्रेस
एक वक्त देश की सत्ता पर सालों तक राज करने वाली कांग्रेस लगातार तीन आम चुनावों में 100 का आंकड़ा भी नहीं कर पा रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार खराब प्रदर्शन के बाद अब कांग्रेस में मंथन का दौर शुरू हो गया है। बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत महासचिवों और प्रभारियों की सात घंटे तक मैराथन बैठक चली। इस बैठक में तय हुआ कि अब कांग्रेस संगठन का विकेंद्रीकरण होगा और जिलाध्यक्षों को ज्यादा शक्तियां दी जाएंगी।
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कांग्रेस ने लिए तीन बड़े फैसले!
टाइम्स नाउ नवभारत को मिली खास जानकारी के मुताबिक कांग्रेस नेहरू-शास्त्री के दौर में लौटेगी। जहां सत्ता का केंद्र दिल्ली में न होकर जिला प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के पास हुआ करता था। कांग्रेस के नए दफ्तर इंदिरा भवन में हुई इसी बड़ी बैठक से सूत्रों के मुताबिक तीन बड़े फैसले हुए।
800 जिलों में नए सिरे से होगी अध्यक्षों की नियुक्ति
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के काम करने के तरीके पर बड़ी बात कह दी। राहुल ने कहा कि पार्टी की सारी शक्तियां दिल्ली में केंद्रित रखने के बजाय जिला अध्यक्षों तक पर शक्तियों का वितरण हो। यानी राहुल ने कांग्रेस के उस दौर को वापस लाने की वकालत कि जब विधानसभा और निचले स्तर में टिकट फाइनल होते थे, लेकिन फिर समय बदला बाद और जिलास्तर की शक्तियां छिनते-छिनते प्रदेश और फिर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के पास पहुंच गई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे राहुल ने कहा कि बीजेपी से टकराने के लिए ज़मीनी स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी और दिल्ली के एसी कमरों से बाहर आना होगा।
संविधान बचाओ यात्रा
7 घंटे तक चली मैराथन बैठक के आखिरी में भारत जोड़ो यात्रा के संयोजक रहे दिग्विजय सिंह को विशेष रूप से बुलाया गया। इसका मकसद था संविधान बचाओ यात्रा की रूप रूप रेखा तय करना। दरअसल पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की मृत्यु के चलते ये यात्रा टल गई थी। ऐसे में अब ये यात्रा 14 अप्रैल यानी बाबा साहेब के जन्मदिन से शुरू होकर अगले साल 30 जनवरी तक चलेगी। इसका स्वरूप रिले यात्रा जैसी होगा। यात्रा के दौरान बड़े और अहम मौकों और जगहों पर राहुल, खरगे, प्रियंका जैसे बड़े नेता भी इसमें बीच बीच में शामिल होते रहेंगे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक ये यात्रा आम जनता तक अपनी बात पहुंचाने और मोदी सरकार की नाकामियां बताने का एक बड़ा प्रोग्राम है।
कांग्रेस का अगला अधिवेशन
कांग्रेस का अगला अधिवेशन आने वाली फरवरी में गुजरात के अहमदाबाद में होगा। 2025 के आम चुनाव के बाद लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने पर राहुल गांधी ने कहा था कि इंडिया गठबन्धन मिलकर बीजेपी को गुजरात में हराएगा। ऐसे में गुजरात विधानसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस ने ये फैसला लिया है।
प्रियंका ने की बदलाव की वकालत
वहीं सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी ने कहा कि राजनीतिक लड़ाई के तरीके में बदलाव की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि कुछ दिन पहले रणनीति तैयार की और चुनाव में उतर गए। बल्कि उसके लिए लंबे समय तक काम करना होगा।
जिलाध्यक्षों को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
जानकारी के मुताबिक आने वाले समय में जब 800 नए जिला अध्यक्षों की तैनाती होगी तो उसे उन्हें सशक्त भी बनाया जाएगा। उन्हें अधिकार देने के साथ ही साथ ज़िम्मेदार और जवाबदेह भी बनाया जाएगा। अभी कांग्रेस के जिलाध्यक्षों का ये हाल है कि उन्हें हर फैसले में आलाकमान का मुंह ताकना पड़ता है। जिलाध्यक्ष नाम की संस्था को मजबूत कैसे किया जाए इसके लिए एक सब ग्रुप का गठन हो सकता है। बैठक के बाद कांग्रेस के संचार विभाग के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राहुल जी ने जोर दिया कि, जिलाध्यक्ष ही कांग्रेस के सुनहरे दिनों की वापसी के लिए केंद्र में होंगे।
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टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पे...और देखें
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