राहुल गांधी को मिली बड़ी राहत, बॉम्बे हाइकोर्ट ने RSS मानहानि मामले में भिवंडी कोर्ट के आदेश को किया रद्द

Rahul Gandhi: बॉम्बे हाइकोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नेता मानहानि मामले में राहुल गांधी को राहत दी है। हाईकोर्ट ने सबूत के रूप में कुछ अतिरिक्त दस्तावेजों की अनुमति देने वाले भिवंडी अदालत के आदेश को रद्द कर दिया।

RSS मानहानि मामले में राहुल गांधी को राहत

मुख्य बातें
  • राहुल गांधी के खिलाफ अतिरिक्त दस्तावेजों को अनुमति देने के आदेश बॉम्बे हाइकोर्ट ने किया रद्द
  • भिवंडी कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए बॉम्बे हाइकोर्ट ने राहुल गांधी को दी राहत
  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भिवंडी कोर्ट के आदेश को बॉम्बे हाइकोर्ट में दी थी चुनौती
RSS Defamation Case: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भिवंडी अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें RSS के एक कार्यकर्ता द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में सबूत के तौर पर कुछ अतिरिक्त दस्तावेजों को अनुमति दी गई थी। बता दें, न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के चव्हाण ने राहुल गांधी द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश दिया है। इस याचिका में आरोप लगाया था कि ट्रायल कोर्ट ने RSS पदाधिकारी राजेश कुंटे को कुछ दस्तावेज देर से पेश करने की अनुमति दी थी। भिवंडी मजिस्ट्रेट अदालत ने 3 जून को राजेश कुंटे द्वारा प्रस्तुत कुछ दस्तावेजों को रिकॉर्ड में ले लिया था। राजेश कुंटे राहुल गांधी के खिलाफ मामले में शिकायतकर्ता हैं। इस दौरान मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कथित मानहानि के भाषण की प्रतिलेख को सबूत के तौर पर स्वीकार कर लिया था, जिसके आधार पर मानहानि का मामला दायर किया गया था। राहुल गांधी ने इसे उच्च न्यायालय के समक्ष इस आधार पर चुनौती दी थी कि मजिस्ट्रेट का आदेश राजेश कुंटे द्वारा दायर एक अन्य याचिका में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के आदेश का उल्लंघन था, जो उसी मानहानि की शिकायत से संबंधित थी।

राहुल गांधी ने भिवंडी अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती

राहुल गांधी ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया था कि मजिस्ट्रेट का आदेश, राजेश कुंटे द्वारा दायर एक अन्य याचिका में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के आदेश का उल्लंघन है। बता दें कि 2021 में न्यायाधीश न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने राजेश कुंटे द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि राहुल गांधी कथित अपमानजनक भाषण को या तो स्वीकार करें या अस्वीकार करें। न्यायमूर्ति डेरे ने तर्क दिया था कि किसी आरोपी व्यक्ति को उक्त याचिका के अनुलग्नकों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। राहुत गांधी ने वर्तमान याचिका में दावा किया है कि उच्च न्यायालय के 2021 के आदेश के बावजूद, मजिस्ट्रेट ने उन्हीं दस्तावेजों को रिकॉर्ड में ले लिया।
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