'सरकारों को "बनाने और गिराने" में राजनीतिक भूमिका निभा रहे राज्यपाल', कांग्रेस ने लगाया गंभीर आरोप
Congress On Governors: कांग्रेस ने ने आरोप लगाया है कि कई राज्यों में राज भवन "पार्टी कार्यालयों" की तरह काम कर रहे हैं और राज्यपाल सरकारों को "बनाने और गिराने" में राजनीतिक भूमिका निभा रहे हैं। राज्यपाल 'राजनीतिक दलों के एजेंट' नहीं हैं। इस रिपोर्ट में जानिए क्या है पूरा माजरा।
कांग्रेस ने देश के राज्यपालों पर लगाया गंभीर आरोप।
Politics News: सियासत में कब किसकी किस्मत फूट जाए और कब किसकी चमक जाए, इसका अंदाजा लगा पाना भी बेहद मुश्किल है। इन दिनों बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सियासत में जमकर उठापटक देखने को मिला। इसी बीच कांग्रेस ने भाजपा और अलग-अलग राज्यों के राज्यपालों पर कटाक्ष किया है। आपको सारा विवाद समझाते हैं।
'पार्टी दफ्तरों की तरह काम कर रहे राज भवन'
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा ने आरोप लगाया है कि कई राज्यों में राज भवन "पार्टी कार्यालयों" की तरह काम कर रहे हैं और राज्यपाल सरकारों को "बनाने और गिराने" में राजनीतिक भूमिका निभा रहे हैं। खुद राज्यपाल रह चुकीं अल्वा ने 17वें जयपुर साहित्योत्सव (जेएलएफ) में एक सत्र को संबोधित करते हुए शनिवार को कहा कि राज्यपाल "राजनीतिक दलों के एजेंट" नहीं हैं और उनसे राज भवनों में संविधान की अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करने की उम्मीद की जाती है।
'राजनीतिक भूमिका अदा कर रहे हैं राज्यपाल'
उन्होंने ‘वी द पीपल : दी सेंटर एंड दी स्टेट्स’ सत्र में कहा, 'राज्यपाल की भूमिका की संपूर्ण अवधारणा संघीय व्यवस्था को चालू रखना है। आज, चुनौतियां हैं, सामान्य से हटकर व्यवहार किया जा रहा है और हम कई राज्यों में ऐसा देख रहे हैं। कई परिस्थितियों में राज भवन पार्टी कार्यालयों की तरह काम कर रहे हैं।' उत्तराखंड, गोवा, गुजरात और राजस्थान की राज्यपाल रह चुकी अल्वा ने कहा, 'राज्य मंत्रिमंडलों की सलाह की अनदेखी करते हुए सरकारों को बनाने और गिराने में राज्यपाल राजनीतिक भूमिका अदा कर रहे हैं। वास्तविकता तो यह है कि हम कई राज्यों में राज भवन और सरकारों के बीच रोजाना संघर्ष देखते हैं। मेरा मानना है कि यह सही बात नहीं है।'
दिल्ली, केरल और पुडुचेरी का दिया उदाहरण, साधा निशाना
उन्होंने केरल, पुडुचेरी और दिल्ली का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार राज्यपाल कथित रूप से केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे हैं और राज्य की नीतियों में 'बार-बार अडंगा लगा रहे हैं।' अल्वा ने कहा, 'आप देख सकते हैं कि केरल के राज्यपाल सड़क पर बैठ कर सरकार के खिलाफ विरोध जता रहे हैं .... इससे पद की गरिमा खत्म होती है। पश्चिम बंगाल की खराब हालत तो आप देख चुके हैं या पुडुचेरी, जहां राज्यपाल ने उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करने से इनकार कर दिया और प्रशासन को आदेश पर आदेश देना जारी रखा। दिल्ली में क्या हो रहा है?'
उन्होंने कहा, 'मेरा यह सब कहने का मतलब यह है कि यदि राज्यपाल संवैधानिक व्यवस्था की अनदेखी करेंगे तो यही लोग हैं जो केंद्र और राज्यों के बीच विवाद पैदा करेंगे।' मार्गरेट अल्वा (81) ने 2026 की जनगणना के बाद होने वाले परिसीमन के बारे में कहा कि सीटों के लिए ‘नया फार्मूला’ तैयार करना होगा, जो कि ‘केवल आबादी के आधार’ से अलग हो। परिसीमन जनसंख्या के आधार पर संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने की एक प्रक्रिया है। कुछ उत्तरी राज्यों में जनसंख्या वृद्धि दर दक्षिणी भारत की तुलना में अधिक है।
अल्वा ने कहा कि यह गलत है कि अपनी आबादी को नियंत्रित करने का शानदार काम करने वाले और विकास में निवेश करने वाले दक्षिणी भारतीय राज्यों से अब यह कहा जा रहा है कि वे अपने हितों का बलिदान करने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा, 'मैं सामाजिक न्याय या आर्थिक न्याय के खिलाफ नहीं हूं लेकिन मैं दक्षिणी राज्यों के साथ अन्याय के खिलाफ हूं जिन्होंने इतना शानदार काम किया है।' एक से पांच फरवरी तक आयोजित किए जा रहे और ‘विश्व में सबसे बड़ा साहित्यिक उत्सव’ कहे जाने वाले जेएलएफ में पूरी दुनिया के श्रेष्ठ विचारक, लेखक और वक्ता भाग ले रहे हैं।
(भाषा)
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