नीतीश की PM उम्मीदवारी के सपनों पर कांग्रेस ने फेरा पानी? पटना में विपक्ष की मीटिंग कैंसिल होने के पीछे ये है असली कहानी!
Opposition Meeting Patna: कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने नीतीश कुमार के पीएम की उम्मीदवारी के सपनों पर पानी फेर दिया है, कांग्रेस विपक्षी दलों की एकता तो चाहती है, लेकिन नेतृत्व के सवाल पर वो कोई समझौता करने के मूड में नहीं है, खासकर कर्नाटक जीत के बाद।
कांग्रेस ने नीतीश कुमार के साथ कर दिया खेल?
- पटना में होनी थी 12 जून को विपक्षी दलों की बैठक
- नीतीश ने खुद कुछ कई विपक्षी दलों को किया था आमंत्रित
- पार्टी के प्रमुखों को मीटिंग में बुलाने की थी नीतीश की जिद
Opposition Meeting Patna: बिहार में होने वाली विपक्ष की बैठक कैंसिल हो चुकी है। यह बैठक बिहार के सीएम और जदयू नेता नीतीश कुमार ने बुलाई थी, लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस ने खेल कर दिया और बैठक कैंसिल करनी पड़ गई। मीटिंग कैंसिल होने पर नीतीश ने सफाई भी दी है, लेकिन इस सफाई पर राजनीतिक गलियारों में कई सवालों को लेकर चर्चा है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने नीतीश के पीएम की उम्मीदवारी के सपनों पर पानी फेर दिया है, कांग्रेस विपक्षी दलों की एकता तो चाहती है, लेकिन नेतृत्व के सवाल पर वो कोई समझौता करने के मूड में नहीं है, खासकर कर्नाटक जीत के बाद।
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नीतीश ने कई नेताओं से की थी मुलाकात
इस मीटिंग के लिए नीतीश कुमार ने काफी मेहनत की थी। कई राज्यों का दौरा करके विपक्षी पार्टी के नेताओं से मुलाकात की थी, उन्हें आमंत्रित किया था। मीटिंग कैंसिल करने के बाद नीतीश कुमार मीडिया के सामने आए और कहा कि वो चाहते थे कि सभी पार्टियों के प्रमुख इस मीटिंग में आए, लेकिन कांग्रेस और डीएमके की तरफ से समय को लेकर आपत्ति थी, इसलिए ये फिलहाल के लिए कैंसिल कर दी गई है।
पर्दे के पीछे की कहानीपटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक कैंसिल होने के बाद जो पर्दे के पीछे की कहानी बताई जा रही है वो नेतृत्व को लेकर है। नीतीश भले की कई बार मना कर चुके हों कि वो पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए रेस में नहीं है, लेकिन उनकी पार्टी के नेता कई मौकों पर यह साफ कर चुके हैं कि 2024 में विपक्ष में नीतीश कुमार का चेहरा महत्वपूर्ण है, वो इसके दावेदार हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस विपक्षी दलों की एकता तो चाहती है औऱ कांग्रेस के अलावा भी कई दल इसकी पहल कर रहे हैं, लेकिन नेतृत्व के मामले पर कांग्रेस साफ है कि कमान उसी के पास रहनी चाहिए, नीतीश के पास तो कतई नहीं और नीतीश इस मीटिंग के जरिए यह दिखाना चाहते थे कि वो विपक्ष के बड़े नेता हैं, उनके बुलाने पर सभी पार्टियां एक हो गईं हैं। विपक्षी दल उनका नेतृत्व मानते हैं। यही कारण था कि नीतीश इस मीटिंग में सभी विपक्षी दलों के प्रमुख को ही उपस्थित होने पर जोर दे रहे थे, जो कांग्रेस को मंजूर नहीं था, कांग्रेस, नीतीश को यह दिखाना चाहती थी कि एकता तो ठीक है, लेकिन नेतृत्व पर समझौता नहीं हो सकता है। इसलिए उसने अपने नेताओं के पूर्व कार्यक्रम की व्यस्ताओं का हवाला दे दिया। कांग्रेस के साथ डीएमके ने भी यही राग अलापा और मीटिंग कैंसिल हो गई।
कांग्रेस पहले ही कर चुकी थी साफ
पिछले हफ्ते बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कर दिया था कि उनकी पार्टी बैठक के लिए एक मुख्यमंत्री और एक अन्य वरिष्ठ नेता को इस बैठक में भेजने की योजना बना रही है। जिसपर भाजपा ने नीतीश कुमार पर तंज भी कसा था। भाजपा ने कहा कि नीतीश की पहल को ना तो राहुल गांधी और ना ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ज्यादा अहमियत दे रहे हैं।
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