न छूट रहा कांग्रेस का मोह! सपा के समर्थन से भले ही संसद पहुंचे हैं कपिल सिब्बल, लेकिन 2024 में विपक्षी केंद्र में CONG की है चाहत

विपक्षी एकता पर बात करते हुए सिब्बल ने कहा कि जहां तक विपक्षी एकता का संबंध है तो हमें राजनीतिक दलों को एक-दूसरे के प्रति अधिक उदार होने और एक-दूसरे को उनके स्वयं के वैचारिक आधार के लिए जगह देने की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही एक ऐसी सरकार से लड़ने के लिए एकजुट होने की जरूरत है जो भारत के लोगों को चुप कराने और इस तथाकथित लोकतंत्र को एक निरंकुश देश में बदलने पर तुली हुई है।

न छूट रहा कांग्रेस का मोह! सपा के समर्थन से भले ही संसद पहुंचे हैं कपिल सिब्बल, लेकिन 2024 में विपक्षी केंद्र में CONG की है चाहत

कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) इस समय सपा के समर्थन से राज्यसभा के सांसद हैं। कभी कांग्रेस में थे, लोकसभा और राज्यसभा दोनों से सांसद रहे, केंद्रीय मंत्री रहे। इसके बाद जब पिछली बार राज्यसभा का टिकट कांग्रेस से नहीं मिला तो सपा के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा पहुंच गए। कांग्रेस छोड़ने के बाद कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेतृत्व पर भी जमकर हमला बोला था, लेकिन हाल के दिनों में उनका कांग्रेस के लिए मोह फिर से पैदा हो रहा है। राहुल गांधी को मानहानि के मामले में सजा और फिर सदस्यता जाने के मामले पर वो राहुल के सपोर्ट में बोल चुके हैं। अब विपक्षी गठबंधन के लिए भी कांग्रेस की तरफदारी कर रहे हैं।

क्या कहा कपिल सिब्बल ने

कपिल सिब्बल ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी एकता के केंद्र में कांग्रेस को रखने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को 2024 के आम चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने वाले किसी भी गठबंधन के केंद्र में होना चाहिए। साथ ही सभी विपक्षी दलों को संवेदनशील होने के साथ-साथ एक मजबूत गठबंधन बनाने के लिए एक-दूसरे की विचारधाराओं की आलोचना करने में सावधान रहना चाहिए।

दिया अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण

पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि 2024 के लिए विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व के सवाल का इस स्तर पर जवाब देने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने 2004 का उदाहरण भी दिया, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार विपक्ष का चेहरा घोषित नहीं होने के बावजूद लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता से बाहर हो गई थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस को निश्चित तौर पर 2024 में भाजपा का मुकाबला करने वाले विपक्षी दलों के किसी भी गठबंधन के आधार और केंद्र में होना चाहिए।

शरद पवार पर क्या बोले

कपिल सिब्बल से जब शरद पवार के अडानी वाले बयान पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यदि आप मुद्दों को संकुचित दायरे में देखते हैं, तो राजनीतिक दलों के बीच मतभेद होंगे। यदि आपके पास एक व्यापक सहयोगी मंच है, जो मुद्दों को संकुचित दायरे में नहीं करता है तो आम सहमति की संभावना बहुत अधिक होगी।

उन्होंने कहा- "सिब्बल ने कहा कि जैसे ही मुद्दों को संकुचित किया जाता है, दिक्कतें उत्पन्न होती हैं और उन्होंने ऐसे दलों का उदाहरण दिया जिनका रुख किसी विशेष कानून पर अलग-अलग होता है। आपको अलग-अलग दलों को भिन्न-भिन्न विचार रखने की अनुमति देनी चाहिए। हमें राहुल गांधी को किसी व्यक्ति पर एक विचार रखने और शरद पवार को अपना दृष्टिकोण रखने देना चाहिए। यह असहमति का उदाहरण नहीं होना चाहिए।"

विपक्षी एकता पर क्या कहा

विपक्षी एकता पर बात करते हुए सिब्बल ने कहा कि जहां तक विपक्षी एकता का संबंध है तो हमें राजनीतिक दलों को एक-दूसरे के प्रति अधिक उदार होने और एक-दूसरे को उनके स्वयं के वैचारिक आधार के लिए जगह देने की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही एक ऐसी सरकार से लड़ने के लिए एकजुट होने की जरूरत है जो भारत के लोगों को चुप कराने और इस तथाकथित लोकतंत्र को एक निरंकुश देश में बदलने पर तुली हुई है। सिब्बल ने कहा कि संयुक्त विपक्ष के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम एक 'मुश्किल काम' है और यह आम चुनाव से कुछ महीने पहले ही तय किया जाएगा।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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