कांग्रेस के क्षत्रप खुद ही पार्टी के लिए बन जाते हैं चुनौती, ये राज्य रहे हैं उदाहरण
Who will be CM of Karnataka: कर्नाटक में सीएम कौन होगा इसे लेकर फैसला नहीं हो सका है। अगर आप कर्नाटक में कांग्रेस के नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष को देखें तो 2018 में छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीएम कुर्सी के लिए लड़ाई खुद ब खुद याद आ जाती है।
कांग्रेस शासित राज्यों में सीएम पद को लेकर रहा विवाद
Who will be CM of Karnataka: अगर कोई शख्स सियासी है तो उसकी इच्छा गैरसियासी कैसे हो सकती है। राजनीति में सामान्य तौर पर नेता कहते हैं कि उन्हें पद की लालसा नहीं। लेकिन भारतीय राजनीति में यह देखा गया है कि पद के लिए कई बड़े सियासी चेहरों ने अपने अपने दलों के लिए वफादार नहीं रह सके। यहां हम बात करेंगे कांग्रेस और कर्नाटक की राजनीति की। 13 मई दिन शनिवार को सभी 224 सीटों की काउंटिंग में 135 सीट के साथ कांग्रेस को बंपर जीत हासिल हुई। लेकिन सीएम कौन होगा इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है। सामान्य तौर पर रेस में सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार बने हुए हैं। लेकिन जी परमेश्वर ने भी दावा ठोंक दिया है। कांग्रेस में यह अक्सर देखा गया है कि उच्च पदों के लिए आपसी टकराव दूसरे दलों की तुलना में अधिक रही है। 2018 में आपने देखा होगा कि कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कांग्रेस में सत्ता में आ चुकी थी। लेकिन सरकार का चेहरा कौन होगा इसके लिए हाइवोल्टेज ड्रामा कई दिनों तक चला।
मध्य प्रदेश
सबसे पहले बात करेंगे मध्य प्रदेश की। मध्य प्रदेश में करीब 15 साल बडा बदलाव हुआ। मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान सरकार बनाने के लिए आवश्यक आंकड़ों तक पहुंच पाने में नाकाम साबित हुए। कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस सत्ता में आ चुकी थी। लेकिन चेहरा कौन होगा इसे लेकर कई दिनों तक असमंजस की स्थिति बनी रही। आखिरकार कुर्सी कमलनाथ के हाथ लगी।लेकिन महज एक साल बाद क्या हुआ उसकी गवाह दुनिया बनी। कमलनाथ अपनी कुर्सी बचा पाने में नाकाम रहे। यही नहीं सिंधिया ने भी बाद में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया।
राजस्थान
मध्य प्रदेश के बाद कुर्सी की लड़ाई राजस्थान में भी देखने के लिए मिली। 2018 में सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे सिंधिया सरकार के खिलाफ पूरे राजस्थान में अलख जगाई और उसका फायदा मिला। लेकिन कुर्सी के लिए संघर्ष सिर्फ जयपुर तक सीमित नहीं रहा। वैसे तो चुनावी प्रचार में कांग्रेस के आला नेताओं ने युवा चेहरा, युवा जोश की बात करते हुए नजर आए थे। लेकिन सरकार बनने के बाद युवा चेहरे पर अनुभव को तवज्जो मिली और सचिन पायलट सीएम बनते बनते रहे गए। अशोक गहलोत को सीएम बनाया गया। लेकिन तब से लेकर अब तक इन दोनों नेताओं में खींचतान किसी से छिपी नहीं है।
छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में यही विवाद दिखाई दिया। भूपेश बघेल और टी एस सिंह देव की अगुवाई में कांग्रेस ने 15 साल पुरानी बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंका था। लेकिन कुर्सी की लड़ाई में यहां भी दिलचस्प घटनाक्रम सामने आए। यहां पर बाकायदा सीएम की कुर्सी के लिए ढाई ढाई साल वाला विकल्प लाया गया। इस फॉर्मूले के तहत राज्य की कमान पहले भूपेश बघेल के हाथ आई और ढाई साल बाद सीएम की कुर्सी टी एस सिंहदेव को मिलने वाली थी। लेकिन ढाई साल की समाप्ति के बाद भूपेश बघेल ने सीएम की कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया।
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