चुनावी राज्यों के लिए कांग्रेस की रणनीति पर मंथन, खरगे ने पर्यवेक्षकों को दिया ये संदेश
चुनावी राज्यों के पर्यवेक्षकों की बैठक में चुनाव की रणनीति पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि पर्यवेक्षकों को पार्टी कान और नाक बनना है ताकि वो जमीनी स्थिति को नेतृत्व तक सच्चाई के साथ पहुंचा सकें।
खरगे ने की बैठक
Congress strategy for Assembly elections: चुनावी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस पार्टी का चुनाव की रणनीति, जमीनी मुद्दे, आक्रामक प्रचार और नैरेटिव बनाने जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राज्यों के पर्यवेक्षकों की बैठक कांग्रेस मुख्यालय में हुई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पवन खेड़ा और कंट्रोल रूम प्रमुख शशिकांत सेंथिल शामिल थे।
चुनावी राज्यों के पर्यवेक्षकों की बैठक में चुनाव की रणनीति पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि पर्यवेक्षकों को पार्टी कान और नाक बनना है ताकि वो जमीनी स्थिति को नेतृत्व तक सच्चाई के साथ पहुंचा सकें। वही पर्यवेक्षकों को मजबूत उम्मीदवारों की पहचान करने में मदद, टिकट नहीं मिलने की सूरत में बागियों को पार्टी से जोड़े रखने की रणनीति और स्टार प्रचारकों के कार्यक्रमों को को-ऑर्डिनेट करना होगा, ताकि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार प्रचार और जमीन के मुद्दों को आक्रामकता से उठाए ताकि उसका फायदा पार्टी को चुनावी नतीजे के तौर पर मिले।
सूत्रों ने बताया की बैठक में नेताओं ने जो ग्राउंड रिपोर्ट लीडरशिप को दी उसके मुताबिक. कांग्रेस हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में अपनी मजबूत स्थिति मान सकती है। लेकिन झारखंड में मुकाबला टक्कर का माना जा रहा है। कांग्रेस का ये भी मानना है की चुनाव में ध्रुवीकरण से पार्टी को नुकसान होगा इसलिए जमीनी मुद्दों को ही चुनावी मुद्दा बनाया जाए।
सूत्रों की मानें तो पार्टी कर्नाटक और तेलंगाना के हिट मॉडल को चुनावी राज्यों में भी दोहराना चाहती है, इसलिए सभी विधानसभा में गारंटी कार्ड बांटने की तैयारी पार्टी कर रही है। वहीं लोकसभा चुनाव में संविधान बचाने का जो नैरेटिव सेट हुआ था जिसमें दलित वोट कांग्रेस के साथ जुड़ी, उसे भी प्रचार का मुख्य मुद्दा कांग्रेस बनाना चाहती है। बैठक में लोकसभा अनुसार बनाए गए पर्यवेक्षकों को लीडरशिप की तरफ से निर्देश दिया गया कि चुनाव खत्म होने तक राज्य के दौरे पर रहें और रिपोर्ट नेतृत्व तक पहुंचाएं।
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