क्षेत्रीय दलों के सहारे BJP का सामना करना चाहती है कांग्रेस, आमने-सामने के मुकाबले में रिकॉर्ड खराब
Loksabha elections 2024: क्षेत्रीय दलों का यही कहना है कि कांग्रेस को बीजेपी से सीधी फाइट वाले राज्यों में खुद को मजबूत करना चाहिए और बाकी राज्यों में क्षेत्रीय दलों को नेतृत्व देना चाहिए यानी क्षेत्रीय दलों के हिसाब से कांग्रेस को चलना चाहिए और जितनी सीटें क्षेत्रीय दल दे दें उतनी सीटों पर ही लड़ना चाहिए।
कांग्रेस से कन्नी काट रहे क्षेत्रीय दल।
Loksabha elections 2024: राम मंदिर को लेकर देश में अभी भी जबरदस्त उत्साह और उत्सव का माहौल है। आप दो दिन से देख ही रहे होंगे अयोध्या में कैसे भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। हर दिन देश के हर कोने से लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं और यहां आकर मोदी-योगी की जोड़ी को भर-भर कर आशीर्वाद दे रहे हैं
इसलिए नहीं हो रहा चुनावी गठबंधन
अब ऐसी रामलहर को देखकर इंडी गठबंधन की सांसें अटक गई। और अब सभी गठबंधन की बात छोड़कर खुद को बचाने में जुट गए कि किसी तरह से उनकी कुछ तो सीटें आ जाएं इसीलिए अब कोई भी अपनी सीटें दूसरे को देना नहीं चाहता इसीलिए गठबंधन नहीं हो रहा है और एक के बाद एक नेता गठबंधन से हट रहे हैं और ये कह रहे हैं कि वो अकेले चुनाव लड़ेंगे।
ममता अकेले चुनाव लड़ेंगी
ममता बनर्जी ने कह दिया कि वो बंगाल में अकेले चुनाव लड़ेंगी...यानी बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट से TMC का कोई गठबंधन नहीं होगा ममता बनर्जी इंडी गठबंधन की स्ट्रॉन्ग नेता हैं, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव से उनकी अच्छी ट्यूनिंग है इसलिए ये माना जा रहा है कि ममता के इंडी गठबंधन से अलग होने से पूरा गठबंधन बिखर सकता है।
अलग राह पर आप भी
इसके संकेत भी मिल रहे हैं, इधर ममता बनर्जी ने कहा कि वो अकेले लड़ेगीं, उधर पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कह दिया कि वो पंजाब की सभी 13 सीटों पर लड़ेंगे, कांग्रेस के कोई लेना देना नहीं। हाल में जब इंडी गठबंधन की वर्चुअल बैठक हुई थी उसमें भी ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे जैसे बड़े नेता शामिल नहीं हुए थे और ये तीनों नेता उन राज्यों से आते है जहां लोकसभा की कुल 170 सीटें हैं।
अब जब इस तरह की स्थिति है और सभी अलग राह पकड़ लेते तो फिर इंडी गठबंधन का क्या मतलब रह जाएगा। दरअसल, कांग्रेस इस रणनीति पर इसलिए चल रही है वो उन राज्यों में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़े जहां लड़ाई क्षेत्रीय दलों और बीजेपी के बीच है क्योंकि कांग्रेस ये जानती है कि बीजेपी के साथ सीधी फाइट में वो बहुत पीछे हैं।
2019 लोकसभा चुनाव
कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने- 186 सीट
बीजेपी की जीत- 170
कांग्रेस की जीत - 15
अन्य की जीत - 1
2014 लोकसभा चुनाव
कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने- 186 सीट
बीजेपी की जीत- 162
कांग्रेस की जीत - 24
अब निशाने पर है कांग्रेस
क्षेत्रीय दलों का यही कहना है कि कांग्रेस को बीजेपी से सीधी फाइट वाले राज्यों में खुद को मजबूत करना चाहिए और बाकी राज्यों में क्षेत्रीय दलों को नेतृत्व देना चाहिए यानी क्षेत्रीय दलों के हिसाब से कांग्रेस को चलना चाहिए और जितनी सीटें क्षेत्रीय दल दे दें उतनी सीटों पर ही लड़ना चाहिए। अब इंडी गठबंधन में हर किसी के निशाने पर कांग्रेस इसलिए है क्योंकि कांग्रेस उन राज्यों में भी ज्यादा सीटें मांग रही है..जहां उसका कोई जनाधार नहीं है जैसे
बंगाल में दो, यूपी में बस 1 सीट जीत पाई
पश्चिम बंगाल में कुल 42 लोकसभा सीटे हैं, कांग्रेस 10 से 12 सीटें मांग रही हैं..जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 40 सीटों पर लड़ी थी और दो ही सीट जीत पाई थी। 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस 91 सीटों पर लड़ी और एक भी सीट नहीं जीत पाई। अब यूपी की बात करते हैं...यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं..और कांग्रेस चाहती है कि उसे गठबंधन में 20 सीटें मिले..जबकि 2019 में कांग्रेस 80 में से 67 सीटों पर लड़ी और सिर्फ एक सीट जीत पाई।
फिर भी मांग रही ज्यादा सीटें
इसी तरह 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस 403 में से 399 सीटों पर लड़ी थी लेकिन सिर्फ 2 ही सीट जीत पाई। अब बिहार की बात करते हैं..बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटे हैं...कांग्रेस चाहती है कि उसे गठबंधन में 9 सीटें तो मिले जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस बिहार की 9 सीटों पर लड़ी थी लेकिन वो एक ही सीट जीत पाई। फिर 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी और सिर्फ 19 सीट ही जीत पाई। यानी कांग्रेस जिन राज्यों में बेहद कमजोर है वहां भी वो गठबंधन के साथियों से ज्यादा से ज्यादा सीटें मांगने में लगी है।
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