बड़ी खबर! फांसी के बजाए कम पीड़ा दायक मौत का विकल्प तलाशेगी एक्सपर्ट कमेटी, सरकार ने SC को बताया
Supreme Court News: एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि दुनिया में 55 देश ऐसे हैं जहां सजा के तौर मौत की सजा सुनाई जाती है। ब्रिटिश शासन में फांसी पर लटकाकर मौत देना सर्वाधिक प्रचलित तरीका था। अन्य देशों में मौत देने के लिए फांसी के अलावा अलग-अलग तरीके हैं। जैसे कि चीन में दोषी व्यक्ति को गोली मारकर मौत की सजा दी जाती है।



भारत में मौत की सजा देने के लिए फांसी पर लटकाया जाता है।
Supreme Court News: केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फांसी की जगह कम पीड़ा दायक मौत का विकल्प ढूंढने के लिए वह एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन करने पर विचार कर रही है। अटॉर्नी जनरल ने फांसी के विकल्प पर सरकार के रुख से शीर्ष अदालत को अवगत कराया। बता दें कि गत 27 मार्च को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार से उस कानून के पक्ष में तर्क देने को कहा जो मौत देने के लिए दोषी व्यक्ति को सांस रुकने तक फांसी लगाने की इजाजत देता है।
फांसी पर लटकाए जाने का होता है विरोध
समाज का एक बड़ा तबका है जो मौत के लिए फांसी दिए जाने के मौजूदा तरीके से सहमत नहीं है। लोगों का मानना है कि मौत का यह तरीका 'बर्बर एवं पीड़ादायक' है। देश में लंबे समय से फांसी की सजा खत्म करने या मौत के लिए कम पीड़ादायक विकल्प तलाशने की मांग उठती रही है। इसी क्रम में साल 2017 में वकील ऋषि मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। इस अर्जी में उन्होंने फांसी की सजा देने के लिए 'ज्यादा सभ्य एवं मर्यादित विकल्प' तलाशने की मांग की। मल्होत्रा ने दलील दी कि एक दोषी व्यक्ति जिसका जीवन समाप्त होना है, उसे फांसी पर लटकाकर पीड़ा सहने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।



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CRPC की धारा 345 (5) की संवैधानिक वैधता को दी चुनौती
इस जनहित याचिका में अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 345 (5) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई। इस धारा में लिखा है, 'एक व्यक्ति जिसे मौत की सजा हुई है, उसे यह सजा गर्दन में फांसी लगाकर दी जाएगी। दोषी व्यक्ति फांसी पर तब तक लटकता रहेगा जब तक कि उसकी मौत नहीं हो जाती।' हालांकि, 1982 के बचन सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब मामले में फांसी की सजा की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट सही ठहरा चुका है।
अन्य विकल्पों के अध्ययन के लिए सरकार ने समय मांगा
इसके बाद जनवरी 2018 में शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मौत के वारंट पर अमल करने के लिए उसके पास फांसी ही एक मात्र 'संभव' विकल्प है। साथ ही उसने यह भी कहा कि मौत की सजा के लिए अन्य देशों में कौन से तरीके अपनाए जाते हैं, इसका अध्ययन करने के लिए उसे समय की जरूरत है।
मौत की सजा देने के हैं अलग-अलग तरीके
एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि दुनिया में 55 देश ऐसे हैं जहां सजा के तौर मौत की सजा सुनाई जाती है। ब्रिटिश शासन में फांसी पर लटकाकर मौत देना सर्वाधिक प्रचलित तरीका था। अन्य देशों में मौत देने के लिए फांसी के अलावा अलग-अलग तरीके हैं। जैसे कि चीन में दोषी व्यक्ति को गोली मारकर मौत की सजा दी जाती है। सऊदी अरब में दोषी का सिर कलम कर दिया जाता है। जबकि अमेरिका में जहरीला इंजेक्शन एवं बिजली का करंट लगाकर मौत की सजा दी जाती है।
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