Jagdeep Dhankhar के फैसले पर विवाद, 20 संसदीय समितियों में नियुक्त कर लिए 12 पर्सनल स्टाफ
दरअसल, संसदीय समितियों की कार्यवाही गुप्त होती है। सामान्यत संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी संसदीय समितियों का काम देखता है और सीधे राज्य सभा के महासचिव को रिपोर्ट करता है। महासचिव संसदीय समितियों की कार्यवाही के बारे में राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति को जानकारी देते हैं।
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। (फाइलः vicepresidentofindia.nic.in)
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के फैसले पर विवाद हो गया है। उन्होंने संसदीय समितियों में अपने निजी स्टाफ को नियुक्त कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, 20 संसदीय समितियों में उन्होंने अपने 12 कर्मचारियों को नियुक्त किया। चार कर्मचारी उपराष्ट्रपति सचिवालय के अधीन हैं, जबकि चार कर्मी राज्य सभा के सभापति के तहत हैं। ये सभी समितियां राज्य सभा के तहत आती हैं।
दरअसल, संसदीय समितियों की कार्यवाही गुप्त होती है। सामान्यत संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी संसदीय समितियों का काम देखता है और सीधे राज्य सभा के महासचिव को रिपोर्ट करता है। महासचिव संसदीय समितियों की कार्यवाही के बारे में राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति को जानकारी देते हैं। समिति के अध्यक्ष संसद के प्रति जवाबदेह हैं। पर उपराष्ट्रपति के निजी स्टाफ को संसदीय समितियों को हिस्सा बनाना एक तरह से इनके कामकाज में सीधे दखल के तौर पर देखा जा रहा है।
उपराष्ट्रपति के ओएसडी राजेश एन नायक को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी, जनरल परपज कमेटी और गृह मंत्रालय से जुड़ी समिति के साथ और उपराष्ट्रपति के निजी सचिव सुजीत कुमार को राज्य सभा में सूचना और संचार तकनीक प्रबंधन की समिति, वाणिज्य समिति और विज्ञान और तकनीक, पर्यावरण वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय की समिति से जोड़ा गया है।
वहीं, सभापति के ओएसडी अखिल चौधरी को ऐथिक्स, पेपर्स लेड ऑन टेबल और उद्योग मंत्रालय की समिति से, उपराष्ट्रपति के एपीएस संजय वर्मा को गवर्नमेंट एश्योरेंस से, उपराष्ट्रपति के ओएसडी अभ्युदय सिंह शेखावत को हाउस कमेटी, पिटिशन कमेटी और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय की समिति से, सभापति के ओएसडी कौस्तुभ सुधाकर भालेकर को रूल्स कमेटी और यातायात, पर्यटन तथा संस्कृति मंत्रालय की समिति से जोड़ा गया और सभापति की निजी सचिव अदिति चौधरी को सबआर्डिनेट लेजीस्लेशन कमेटी के साथ जोड़ा गया है।
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अमित कुमार author
20 साल का टीवी पत्रकारिता का अनुभव। झूठ , फरेब और तमाशे पर नहीं सिर्फ खबर पर नज़र। राजनीतिक खबरों पर ...और देखें
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