दिमाग काम नहीं कर रहा था, किसी का हाथ नहीं था तो किसी का पैर....ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद चश्मदीदों ने क्या-क्या कहा?

COROMANDEL EXPRESS DERAILMENT: ट्रेन में सफर कर रहे एक अन्य यात्री ने बातया, जब तक हम लोग कुछ समझ पाते, बोगियां आपस में चिपक चुकी थीं। इतने लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे कि समझ नहीं आ रहा था कि किस-किस को बचाया जाए। जब हादसा हुआ, तब वहां कोई नहीं था। यात्री ही एक-दूसरे को बचा रहे थे।

ट्रेन हादसे के बाद अस्पताल के बाहर खून देने वालों की भीड़

COROMANDEL EXPRESS DERAILMENT:'मैं सोया हुआ था। अचानक तेज आवाज हुई और नींद खुल गई। मैंने देखा ट्रेन पटरी से उतरकर नीचे की तरफ जा रही है। लोग चिल्ला रहे हैं...मुझे बचाओ-मुझे बचाओ। जब तक कुछ समझ आता, ट्रेन की कैंटीन में आग लग गई और हम लोग वहां से भाग गए...'

ये शब्द कोरोनामंडल एक्सप्रेस में सफर कर रहे एक यात्री के हैं। जिस समय यह हादसा हुआ, पूरी ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी हुई थी। ट्रेन के पटरी से उतरते हुए कई लोग बोगियों में ही फंस गए और उनकी मौत हो गई। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस हादसे में अब तक 233 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि सभी जीवित बचे लोगों को बाहर निकाल लिया गया है। अब बोगियों से शवों को निकालने का काम किया जा रहा है।

आपस में चिपक चुकी थी बोगियां

ट्रेन में सफर कर रहे एक अन्य यात्री ने बातया, जब तक हम लोग कुछ समझ पाते, बोगियां आपस में चिपक चुकी थीं। इतने लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे कि समझ नहीं आ रहा था कि किस-किस को बचाया जाए। जब हादसा हुआ, तब वहां कोई नहीं था। यात्री ही एक-दूसरे को बचा रहे थे। वहीं एक स्थानीय नागिरक ने बताया, हादसे के वक्त हम यहां से 200 मीटर दूर मार्केट में थे, दुर्घटना की आवाज आई तो हम यहां पहुंचे। लोगों को अंदर से निकाला।

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