Covid-19 को हल्के में न लें! उबरने के महीनों बाद भी लोगों में मिली यह प्रॉब्लम, स्टडी से खुलासा
Coronavirus Tracker Latest Update in India: रिसर्चर्स ने ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ नाम के जर्नल में छपे अपने इस अध्ययन के जरिए जानकारी दी है कि हैरानी की बात है कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के महीनों बाद भी कोविड-19 के कारण मस्तिष्क को पहुंची क्षति के मजबूत जैव निशान बने रहते हैं।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
Coronavirus Latest Update: कोरोना वायरस को लेकर भले ही लोगों में अब पहले जैसी सतर्कता और डर न रह गया हो, मगर यह संक्रमण कमजोर नहीं पड़ा है। समय के साथ इसने चहलकदमी करते हुए अपने आप को बदला है। ऐसे में आपको इसे हल्के में बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। वह भी तब जब इसका नया स्ट्रेन जेएन.1 तेजी से पहले फैल रहा है। कोरोना के नए स्वरूप के तेजी से नए मामलों के आने के बीच संक्रमण को लेकर नया खुलासा हुआ है।
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नए अध्ययन से पता चला है कि इससे उबरने के महीनों बाद भी कई मरीजों के मस्तिष्क को पहुंची क्षति और उसमें आई सूजन बरकरार पाई गई, जबकि इसका पता लगाने के लिए किए गए ब्लड टेस्ट के परिणाम सामान्य थे। ब्रिटेन में कई विश्वविद्यालयों के अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो संक्रमण के सबसे अहम चरण में जब लक्षण तेजी से विकसित होते हैं तब प्रमुख सूजन संबंधी प्रोटीन और मस्तिष्क में जख्म के निशान पैदा होते हैं।
रिसर्चर्स ने ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ नाम के जर्नल में छपे अपने इस अध्ययन में बताया कि हैरानी की बात है कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के महीनों बाद भी कोविड-19 के कारण मस्तिष्क को पहुंची क्षति के मजबूत जैव निशान बने रहते हैं। ये निशान (बायोमार्कर) साक्ष्य गंभीर बीमारी के दौरान तंत्रिका तंत्र के ठीक से नहीं काम करने (न्यूरोलॉजिकल डिसफंक्शन) का अनुभव करने वाले रोगियों में अधिक प्रमुखता से देखा गया और यह जटिलताएं स्वास्थ्य लाभ के दौरान भी बनी रही।
लिवरपूल विश्वविद्यालय के संक्रमण तंत्रिका विज्ञान प्रयोगशाला के प्रधान अन्वेषक और निदेशक बेनेडिक्ट माइकल ने बताया, ‘‘हालांकि कुछ तंत्रिका संबंधी ‘लक्षण’ जैसे कि सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द (मियाल्जिया) अकसर हल्के होते थे। यह स्पष्ट हो गया कि अधिक महत्वपूर्ण और संभावित रूप से जीवन बदलने वाली नयी तंत्रिका तंत्र संबंधी ‘जटिलताएं’ उत्पन्न हो रही थीं, जिनमें एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), दौरे और स्ट्रोक शामिल थे।”
माइकल ने कहा कि इस अध्ययन से मस्तिष्क में आई सूजन और उसे पहुंची क्षति के बरकरार रहने की संभावना की जानकारी मिलती है जिसका पता रक्त परीक्षण से नहीं लगाया जा सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने इंग्लैंड और वेल्स के 800 से अधिक अस्पताल में भर्ती मरीजों के नमूनों का विश्लेषण करने के बाद ये निष्कर्ष निकाले हैं। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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