कर्मचारियों में पैदा करें जागरूकता, तभी वर्कप्लेस में महिला उत्पीड़न होगा खत्म

महिलाएं अब हर मायने में अधिक स्वतंत्र हैं। वे अपना और अपने परिवार का ख्याल रखने में सक्षम हैं। वे अपना जीवन स्वयं चुनने और अपनी शर्तों पर जीने में अधिक सक्षम हैं।

वर्कप्लेस पर महिला सुरक्षा कैसे करें

Safe Her: महिला सुरक्षा और इसके मुद्दों पर दुनिया भर में चर्चा और बहस होती है। फिर भी, हर साल यौन उत्पीड़न की रिपोर्टों की संख्या चिंताजनक दर से बढ़ रही है। खास तौर पर भारत में आंकड़े चिंताजनक हैं। खास तौर पर वर्कप्लेस में ऐसी घटनाएं लगातार चिंता में डाल रही हैं। कामकाजी महिलाएं सफलता के झंडे तो गाड़ रही हैं, लेकिन उत्पीड़न का खतरा भी लगातार बना हुआ है। दुनिया भर में किसी भी कामकाजी क्षेत्र में महिलाओं की बड़ी भागीदारी है।

महिलाएं हर मायने में अधिक स्वतंत्र

महिलाएं अब हर मायने में अधिक स्वतंत्र हैं। वे अपना और अपने परिवार का ख्याल रखने में सक्षम हैं। वे अपना जीवन स्वयं चुनने और अपनी शर्तों पर जीने में अधिक सक्षम हैं। हालांकि, कार्यस्थल पर हर दिन महिलाओं के साथ उनके सहकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है। अमेरिका में #metoo और #timesup के बाद, अधिक महिलाएं अपनी डरावनी कहानियां बताने के लिए सामने आई हैं।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आंकड़े चौंकाने वाले

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं और यह जगह-जगह पर अलग-अलग तरह से होता है। एक सर्वे के मुताबिक 81 फीसदी महिलाओं ने अपने जीवन में यौन उत्पीड़न का सामना किया है। यौन उत्पीड़न से चिंता, अवसाद, कम आत्मसम्मान, अलगाव और समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट हो सकती है। यह परेशान करने वाली बात है कि कार्यस्थल पर महिलाओं को अभी भी यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, यही वजह है कि उनमें से कई ने अपनी नौकरियां भी छोड़ दीं।

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