जोश, जज्बे और हौसले से लिखी अपनी नई तकदीर, पुरुषों से कम नहीं हैं CRPF की ये महिला जवान

CRPF women jawan : सीआरपीएफ में भर्ती होने वाली ज्यादातर महिलाएं अपने घरों की बड़ीं संतान हैं। इनके छोटे-भाई बहन हैं। इन्होंने अपने भाई-बहनों की शिक्षा का खर्च अपने कंधों पर उठा लिया है। ये बहनें चाहती हैं कि उनके भाई-बहन भी पढ़ लिखकर देश एवं समाज सेवा के रास्ते पर आगे बढ़े।

रिपब्लिक-डे परेड में शामिल होकर काफी खुश हैं CRPF की महिला जवान।

CRPF women jawan : गरीब परिवारों एवं पिछड़े इलाकों से आने वाली सीआरपीएफ की महिला जवान अपने परिवारों का संबल तो बनी ही हैं, ये उन परिवारों के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं जो संकीर्ण मानसिकता एवं सोच के चलते अपनी बेटियों को सशस्त्रबलों में भेजने से हिचकिचाते हैं। पारिवारिक एवं सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए इन महिलाओं ने साबित किया है कि वे किसी से कम नहीं हैं, बस उन्हें मौका मिलने की जरूरत है। ये महिला जवान देश सेवा के साथ-साथ आज अपने परिवार को आर्थिक रूप से संभाल रही है।

सीआरपीएफ में भर्ती होने वाली ज्यादातर महिलाएं अपने घरों की बड़ीं संतान हैं। इनके छोटे-भाई बहन हैं। इन्होंने अपने भाई-बहनों की शिक्षा का खर्च अपने कंधों पर उठा लिया है। ये बहनें चाहती हैं कि उनके भाई-बहन भी पढ़ लिखकर देश एवं समाज सेवा के रास्ते पर आगे बढ़ें।

बेगूसराय जिले से आने वाली प्रीति कुमार बीते दो साल से सीआरपीएफ में हैं। उन्होंने कहा कि अब बहुत सारी चीजें बदल गई हैं। सोने-उठने का तरीका बदल चुका है। प्रीति ने बताया कि सीआरपीएफ में भर्ती होने के लिए उनका परिवार तैयार नहीं था। यहां तक कि फॉर्म भरने की अनुमति नहीं थी लेकिन उन्होंने परिवार को बिना बताए फॉर्म भरा। फिजिकल की तैयारी करने के लिए वह काफी सुबह उठती थीं और गांव वालों के जगने से पहले अंधेरे में ही दौड़कर चली आती थीं। बेगूसराय की ही एक अन्य सीआरपीएफ महिला जवान ने कहा कि परेड का हिस्सा बनकर वह आज बहुत खुश हैं। इस महिला जवान ने बताया कि 'मैंने सपने में देखा था कि मुझे आरडी परेड में शामिल होने का मौका मिलेगा। वह सपना आज साकार हो रहा है।'

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सीआरपीएफ कादरपुर कैंप की डिप्टी कमांडेंट तारा यादव ने बताया कि इनमें बहुत सारी ऐसी लड़कियां ऐसी भी है जो अनाथ आश्रम से आई हैं। सीआरपीएफ में ये लड़कियां जब भर्ती नहीं थीं तब इनका कोई रिश्तेदार नहीं था। अब इनके बहुत सारे रिश्तेदार भी आने लगे हैं। अब पहले वाला समय नहीं रहा। ये लड़कियां अपने पैरों पर खड़ी हैं और अपने परिवार का देखभाल कर रही है। सीआरपीएफ में भर्ती होने के बाद इनका भविष्य बदल गया है।

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