CVoter Survey in Kashmir:बहुमत चाहता है जल्द चुनाव हो, ज्यादातर को लगता है अब्दुल्ला और मुफ्ती का कोई भविष्य नहीं
Article 370 in Kashmir:सीवोटर सर्वे के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में बहुमत चाहता है राज्य का दर्जा बहाल हो, जल्द चुनाव हो वहीं ज्यादातर लोगों को लगता है अब्दुल्ला और मुफ्ती जैसे नेताओं का कोई भविष्य नहीं।
सीवोटर सर्वे के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में बहुमत चाहता है राज्य का दर्जा बहाल हो
CVoter Survey in Jammu and Kashmir: संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370) को निरस्त किए जाने की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद सीवोटर द्वारा किए गए एक विशेष सर्वेक्षण से पता चलता है कि उत्तरदाताओं का एक बड़ा हिस्सा जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में न केवल पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होते देखना चाहता है, बल्कि वहां जल्द विधानसभा चुनाव भी चाहता है।5 अगस्त, 2019 से जम्मू और कश्मीर को केंद्र द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के रूप में प्रशासित किया गया है और लद्दाख भी एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।
सीवोटर सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, कुल मिलाकर 64 प्रतिशत उत्तरदाताओं की राय है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य बनना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के भीतर भी जम्मू क्षेत्र में 73 प्रतिशत और कश्मीर घाटी में 71 प्रतिशत लोग समान विचार रखते हैं।
अधिकांश लोग यह भी चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव हों। कुल मिलाकर, तीन-चौथाई उत्तरदाताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव तुरंत या 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ होने चाहिए।
जम्मू क्षेत्र में चार-पांचवें उत्तरदाता शीघ्र विधानसभा चुनाव चाहते हैं, जबकि कश्मीर घाटी में तीन-चौथाई उत्तरदाताओं का यही विचार है।1952 से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 जम्मू और कश्मीर में लागू थे, जिससे राज्य को एक विशिष्ट और विशेष पहचान के साथ-साथ यह चुनने की वास्तविक शक्तियाँ मिलीं कि भारतीय संसद द्वारा पारित कौन से कानून राज्य में लागू किए जाएंगे।
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5 अगस्त, 2019 को लोकसभा चुनाव में भारी जनादेश जीतने के तुरंत बाद मौजूदा शासन ने संसद के दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाला एक विधेयक पारित किया।फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं, जिसने उन्हें एक साथ जोड़ दिया।
सोमवार को पांच जजों की पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।
ज्यादातर लोगों को लगता है अब्दुल्ला और मुफ्ती जैसे नेताओं का कोई भविष्य नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को वैध ठहराया। इसके तुरंत बाद सीवोटर ने एक विशेष सर्वे किया, जिसमें पता चलता है कि अधिकांश उत्तरदाताओं की राय है कि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं का जम्मू-कश्मीर में कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है।
यह विचार न केवल अन्य राज्यों में रहने वाले उत्तरदाताओं द्वारा, बल्कि जम्मू-कश्मीर में रहने वाले लोगों द्वारा भी साझा किया गया है। इस मुद्दे पर कश्मीर घाटी में रहने वाले उत्तरदाता भी अन्य भारतीयों से सहमत हैं।
कुल मिलाकर, प्रत्येक 5 उत्तरदाताओं में से 3 को लगता है कि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं का कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है।
जम्मू-कश्मीर के भीतर, जम्मू क्षेत्र के दो-तिहाई उत्तरदाताओं का यही मानना है, जबकि कश्मीर घाटी में रहने वाले 50 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का भी यही विचार है।
अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवार दशकों से जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर हावी रहे हैं। वहीं, कुछ मौकों पर कांग्रेस और भाजपा गठबंधन सहयोगी के रूप में शामिल हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने निरस्तीकरण को बरकरार रखते हुए सरकार को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
1952 से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 जम्मू-कश्मीर में लागू थे, जिससे राज्य को एक विशिष्ट और विशेष पहचान के साथ-साथ यह चुनने की वास्तविक शक्तियां मिलीं कि भारतीय संसद द्वारा पारित कौन से कानून राज्य में लागू किए जाएंगे।5 अगस्त 2019 को लोकसभा चुनाव में भारी जनादेश जीतने के तुरंत बाद, वर्तमान शासन ने संसद के दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाला एक विधेयक पारित किया। फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं, जिसने उन्हें एक साथ जोड़ दिया।सोमवार को पांच जजों की बेंच ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।
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