Cyclone Biparjoy Effect: चक्रवात बिपरजॉय का असर, रेलवे ने उठाया बड़ा कदम, 69 ट्रेनें रद्द, 32 शॉर्ट-टर्मिनेट

Cyclone Biparjoy Effect on Train: अरब सागर उठा चक्रवाती तूफान बिपरजॉय तटीय इलाके में पहुंच गया है। इससे काफी नुकसान का अनुमान है। इसको देखते हुए भारतीय रेलवे ने कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है। कई शॉर्ट टर्मिनेट किये गए हैं।

ट्रेन यातायात पर चक्रवात बिपरजॉय का असर

Cyclone Biparjoy Effect on Train : अरब सागर उठा चक्रवाती तूफान बिपरजॉय तेजी आगे बढ़ रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर गुजरात के तटीय इलाकों होने की संभावना है। गुजरात के कच्छ, देवभूमि द्वारका और जामनगर जिले इससे सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक ‘बिपरजॉय’ बेहद गंभीर चक्रवात में बदल गया। ‘बिपारजॉय’ बेहद गंभीर चक्रवात के रूप में 15 जून की शाम को जखाऊ बंदरगाह के पास सौराष्ट्र और कच्छ के तटों को पार करने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक हवाएं चलने के आसार हैं। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि इससे काफी अधिक नुकसान हो सकता है। इसका असर यातायात के साधनों पर भी पड़ेगा। इसको देखते हुए पश्चिम रेलवे ने कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है।

Cyclone Biparjoy Effect on Train: कई ट्रेनें रद्द और कई शॉर्ट-टर्मिनेट

पश्चिम रेलवे के CPRO सुमित ठाकुर ने कहा कि चक्रवाती तूफान बिपरजॉय के असर को देखते हुए 69 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है, 32 ट्रेनों को शॉर्ट-टर्मिनेट किया गया है जबकि 26 ट्रेनों को यात्रियों की सुरक्षा और चक्रवात बिपरजोय की शुरुआत के संबंध में ट्रेन संचालन के मद्देनजर एहतियाती उपाय के रूप में शॉर्ट-ऑरजिनेट किया जाएगा।

गुजरात के इन इलाकों काफी असर

आईएमडी के अनुसार, गुजरात में कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर जिलों में 13 से 15 जून तक 20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश हो सकती है। उन्होंने आगाह किया कि हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर इन क्षेत्रों में 25 सेमी से अधिक वर्षा दर्ज की जाती है। आमतौर पर, साल के इस समय में इतनी तेज बारिश नहीं होती है। इसलिए, निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा है। आईएमडी के अनुसार, राजकोट, मोरबी और जूनागढ़ में भारी से अधिक भारी बारिश होने के आसार हैं। इन जिलों में 15 जून को 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। तेज हवाओं और बारिश से खड़ी फसलों, घरों, सड़कों, बिजली और संचार के खंभों को व्यापक नुकसान हो सकता है और निकासी मार्गों में बाढ़ आ सकती है।

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