अगले 48 घंटे में बहुत ही गंभीर रूप लेगा चक्रवाती तूफान ‘बिपोरजॉय’, IMD ने जारी किया ताजा अपडेट

Cyclone Biparjoy Update : अरब सागर से उठा इस साल का पहला चक्रवाती तूफान है। आईएमडी का अनुमान है कि इस चक्रवाती तूफान का असर केरल के मानसून पर पड़ सकता है। यह मानसून की चाल धीमी कर सकता है। केरल में मानसून की ‘धीमी’शुरुआत होने और इसके दक्षिणी प्रायद्वीप के आगे ‘कमजोर’ होने का पूर्वानुमान है।

Cyclone Biparjoy

48 घंटे में और तीव्र होगा चक्रवाती तूफान।

Cyclone Biparjoy Update : अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान ‘बिपोरजॉय’ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने अपने ताजा अपडेट में कहा है कि यह चक्रवाती तूफान अत्यंत भीषण रूप लेगा। अभी यह चक्रवात गोवा के पश्चिमी-दक्षिणपश्चिमी तट से करीब 870 किलोमीटर और मुंबई के दक्षिण पश्चिम तट से 930 किलोमीटर दूर है। विभाग का कहना है कि अगले 48 घंटे में यह और प्रबल होगा और तीन दिनों में यह उत्तर-उत्तरपश्चिम तट के और करीब आएगा।

केरल में मानसून पर डाला असर

बता दें कि अरब सागर से उठा इस साल का पहला चक्रवाती तूफान है। आईएमडी का अनुमान है कि इस चक्रवाती तूफान का असर केरल के मानसून पर पड़ सकता है। यह मानसून की चाल धीमी कर सकता है। केरल में मानसून की ‘धीमी’शुरुआत होने और इसके दक्षिणी प्रायद्वीप के आगे ‘कमजोर’ होने का पूर्वानुमान है।

बड़े प्रभाव को लेकर अनुमान नहीं

हालांकि, आईएमडी ने अभी तक भारत, ओमान, ईरान और पाकिस्तान सहित अरब सागर से सटे देशों पर इसके किसी बड़े प्रभाव को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया है। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसियों ने कहा कि तूफान पहले के आकलन को धता बताते हुए केवल 48 घंटे में एक चक्रवात से गंभीर चक्रवाती तूफान बनने की दिशा में बढ़ रहा है।

पर्यावरण संबंधी स्थितियों से संकेत मिलता है कि 12 जून तक बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान का रुख रह सकता है।

जलवायु परिवर्तन का असर

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती तूफान तीव्र हो रहे हैं और जलवायु परिवर्तन के कारण ये लंबे समय तक काफी सक्रिय बने रह सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की तीव्रता मानसून के बाद के मौसम में करीब 20 प्रतिशत और मानसून से पहले की अवधि में 40 प्रतिशत बढ़ी है।

केरल में आम मौत पर एक जून को आता है मानसून

दक्षिण पश्चिमी मानसून सामान्य तौर पर एक जून को केरल में आता है। इसमें करीब सात दिन कम या ज्यादा हो सकते हैं। आईएमडी ने मई के मध्य में कहा था कि मानसून चार जून तक केरल पहुंच सकता है। स्काईमेट ने पहले मानसून के सात जून को केरल में दस्तक देने का पूर्वानुमान लगाते हुए कहा था कि यह तीन दिन पहले या बाद में वहां पहुंच सकता है। पिछले करीब 150 साल में केरल में मानसून आने की तारीख में व्यापक बदलाव देखा गया है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार 11 मई, 1918 को यह सामान्य तारीख से सबसे अधिक दिन पहले आया था और 18 जून, 1972 को इसमें सर्वाधिक देरी हुई थी।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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