किस गलती के लिए खुद को कोस रहे होंगे दारा सिंह चौहान? समझिए दिलचस्प बातें

UP Politics: दारा सिंह चौहान के बारे में अगर कुछ बताना हो तो सिर्फ एक लाइन ही काफी है- कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा, सपा, भाजपा... एक वक्त ऐसा था कि पूर्वांचल की सियासत में उनका अच्छा खासा प्रभाव था। आखिर उन्होंने ऐसी कौन सी गलती कर दी कि उन्हें घोसी की जनता ने महज एक साथ में नकार दिया।

दारा सिंह चौहान का सियासी सफर- कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा, सपा, भाजपा...।

Dara Singh Chouhan: सियासत में दलबदलुओं को कितनी तवज्जो दी जाती है, इसका बखान शब्दों में कर पाना शायद ही संभव हो। राजनीति की सबसे खास बात यही है कि कब कौन बेवफा हो जाए इसका अंदाजा लगा पाना भी बेहद मुश्किल है। मगर घोसी विधानसभा उपचुनाव के नतीजों में जिस तरह दारा सिंह चौहान को करारी हार झेलनी पड़ी है, वो अपने कदम के लिए खुद को जरूर कोस रहे होंगे।

इस फैसले के लिए खुद को कोस रहे होंगे दारा!

हाल ही में समाजवादी पार्टी से नाता तोड़कर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने वाले दारा सिंह चौहान के सियासी करियर पर फिलहाल के लिए ब्रेक लग गया है। विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले योगी सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह ने चुनाव से ठीक पहले भाजपा और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद वो अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। उस वक्त ये शोर था कि सपा और भाजपा के बीच इस चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। उस वक्त सपा ने दारा सिंह को घोसी से मैदान में उतारा और उनकी जीत हुई। मगर सपा की सरकार नहीं बनी, एक साल बीते ही थे कि दारा सिंह चौहान ने भाजपा में वापसी कर ली। उनकी विधानसभा सदस्यता भंग हो गई, मगर भाजपा ने उन्हें उसी सीट से दोबारा मैदान में उतारा और वो हार गए। अब दारा सिंह को कुर्सी से दूर रहना पड़ेगा, कहीं न कहीं वो अपनी इस गलती के लिए खुद को कोस रहे होंगे। क्योंकि अब उनके दोनों हाथ खाली हैं।

दल बदलने में माहिर हैं दारा सिंह चौहान

जैसे-जैसे हवा बदलती है, कुछ नेता अपना रुख बदल लेते हैं। दारा सिंह चौहान के दल बदलने का इतिहास बड़ा पुराना है। इसे समझने के लिए एक ही लाइन काफी है, कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा, सपा, भाजपा... छात्र नेता के रूप में दारा सिंह चौहान काफी एक्टिव थे। छात्र राजनीति के बाद वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से जुड़कर राजनीति में सक्रिय हो गए। हालांकि कांग्रेस का साथ लंबा नहीं चला और वर्ष 1996 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और लगातार दो बार वो राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद उन्होंने बसपा का साथ पकड़ लिया। फिर भाजपा, फिर से सपा और अब फिर से भाजपा।

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