Exclusive: अशोक गहलोत के 'राज' में हो रहा है बेटियों के जिस्म का सौदा! बिचौलिए खुफिया कैमरे में कैद
अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के राजस्थान में बूंदी जिले में बेटियों के जिस्म का सौदा हो रहा है। सिर्फ कुछ पैसों के लिए दलाल बेटियों की बोली लगाते हैं और खरीदार उन्हें अपने साथ ले जाते हैं। टाइम्स नाउ नवभारत ने वो सच उजागर किया जिसे गहलोत सरकार दबाना चाहती है।
हिंदुस्तान में एक ऐसा प्रदेश जहां बेटियों की बोली लग रही है। जहां बेटियों के जिस्म का सौदा हो रहा है। सिर्फ कुछ पैसों में उन्हें बेचा जा रहा है। हम बात कर रहे हैं। अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के राजस्थान में बूंदी जिले की। हमें TIP मिली कि बूंदी में बेटियों का सौदा हो रहा है। सिर्फ कुछ पैसों के लिए दलाल बेटियों की बोली लगाते हैं और खरीदार उन्हें अपने साथ ले जाते हैं इसी की पड़ताल करने के लिए हमारे अंडर कवर रिपोर्टर दिल्ली से 500 किलोमीटर दूर बूंदी पहुंचे। फिर हमारी INVESTIGATION में जो सच सामने आया वो मानवता को तो शर्मसार करेगा ही बल्कि गहलोत के राज पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
राजस्थान का काला सच आया सामने
ये वो आवाज़ है। ये वो चेहरे है। ये वो रिपोर्ट है। जिसको गहलोत सरकार दबाना चाहती है। राजस्थान का ये वो काला सच है। जिसके सामने आने से सरकार डरती है। क्योंकि जहां पर जो कुछ हो रहा है। जैसे सरेआम हो रहा है। जिस तरह से डील हो रही है। उसकी भनक प्रशासन को, पुलिस को, गहलोत सरकार को ना हो, ऐसा होना नामुमकिन है।
इन गलियों में लोग आते हैं। अपने अपने चेहरे छिपाए हुए क्योंकि यहां पर जो होता है। जिसकी इजाजत ना भारतीय कानून देता है। ना इंसानियत देती है। इस लड़की का चेहरा हम आपको नहीं दिखा सकते हैं। इसकी उम्र 16 साल से कम है। स्कूल जाने वाली उम्र में, पढ़ने वाली उम्र में सपने देखने वाली उम्र में इस बच्ची को अंधकार में ढकेल दिया गया।
स्कूल जाने वाली उम्र की लड़कियों की जिस्म की मंडी
ऐसी सिर्फ एक लड़की नहीं है बल्कि यहां पर जिस्म की मंडी लगती है। यहां पर कैमरा लाना सख्त मना है। सच दिखाने पर जान की दुश्मन बन जाएंगे लेकिन सच दिखाना हमारा काम है इसलिए जब हमारी टीम को इस जगह की ख़बर मिली तो हमारे रिपोर्टर अपनी जान जोखिम में लेकर वहां के लिए निकले।
बूंदी जिले का बिजोलिया रोड जहां गाड़ी हाईवे से महज कुछ किलोमीटर ही आगे बढ़ी थी की टोल क्रॉस करने के बाद हमारी गाड़ी को कुछ लोगों ने रोकने का इशारा किया। एक बार देखने में थोड़ा अजीब लगा लेकिन जैसा हमको जानकारी मिली थी। उसमें ऐसा ही बताया गया था। जो कुछ हो रहा था। सब कुछ कैमरे में रिकॉर्ड हो रहा था।
एजेंट ने खरीददार समझकर ले गया गांव
तो देखा आपने खरीददार समझकर गांव के एजेंट ने हमें गांव में चलने के लिए कहा। हमारे इनकार करने पर एजेंट ने बताया कि सड़क के किनारे नहीं बल्कि गांव में जाने के बाद ही सौदा तय होगा। अचानक से बिना जान पहचान के उस गांव में जाना खतरे से खाली नहीं था..लेकिन सच दिखाने के लिए TIMES NOW नवभारत की टीम ने ये खतरा भी मोल लिया और उसके बाद हमारी गाड़ी को दो लड़कों ने बाइक पर बैठकर पायलट करना शुरू किया। जहां से करीब 2 किलोमीटर के बाद हम गांव में दाखिल हो चुके थे। नाम था रामनगर।
गांव में पहुंचने के बाद एजेंट ने हमारी मुलाकात लड़कियों के दलाल से कराई। जहां हमें गाड़ी से उतरने के लिए कहा गया। यहां कुछ भी हो सकता था ।टीम के ज़हन में कई सवाल थे ,थोड़ा डर भी और हौसला भी। लेकिन कुछ देर बाद होने के बाद हम गाड़ी से उतर कर उस जगह के लिए रवाना हुए जहां लड़कियों को शो-पीस की तरह ग्राहक को दिखाया जाता है।
घरों में दिखाई गई अलग-अलग लड़कियां
हमें गांव के तीन से चार घरों में अलग-अलग लड़कियां दिखाई। जिनकी उम्र 18 साल से कम थी। लड़कियां देखने के बाद जब हम गाड़ी के पास पहुंचे तो हमारी मुलाकात मुख्य सरगना से हुई। जिसका नाम योगेश था जो लड़कियों की दलाली करता है। दलाल योगेश ने अपने नियम, शर्तें और कानून बताना शुरू कर दिया। किस तरह लड़की की सौदेबाजी होगी ,क्या शर्ते रहेंगी?
दलाल से बातचीत में वो सारी बातें तय हो चुकी थी जो उसकी शर्तें थीं। हमारी टीम ने भी उससे विश्वास का रिश्ता कायम कर लिया था। इसी रिश्ते के जरिए हमें अभी कुछ और चीजों की पड़ताल करनी थी। हमारे सामने एक बड़ा सवाल ये था कि रामनगर से महज 500 मीटर की दूरी पर पुलिस चौकी होने के बाद भी आखिर ये धंधा कैसे फल फूल रहा है।
अभी आपने जो रिपोर्ट देखी उससे ये तो पता चल ही गया होगा कि गोरखधंधा कैसे चल रहा है। अब आपको दिखाएंगे कि इसे अंजाम कैसे दिया जाता है। कैसे लड़कियों का ब्रैन वॉश कर उन्हें इस नरक में झोंक दिया जाता है।
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