India Pollution: आतंकवाद और दंगों से नहीं गई उतनी जान, जितनी अकेले प्रदूषण ने लील ली जिंदगी
India Pollution: एक अध्ययन में दावा किया गया है कि प्रदूषण से भारत में एक साल में 24 लाख लोगों की जान जाती है। द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में अध्ययन ने वैश्विक स्तर पर हर साल 90 लाख मौतों के लिए सभी प्रकार के प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं ऑटोमोबाइल और उद्योगों से गंदी हवा के कारण होने वाली मौतों में 2000 के बाद से 55% की वृद्धि हुई है।
भारत में प्रदूषण से हर साल हजारों की मौत
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दंगों और आतंकवादी हमलों से ज्यादा प्रदूषण से मौत
ग्रीनपीस साउथईस्ट एशिया एनालिसिस ऑफ आईक्यूएयर डेटा के अनुसार, वायु प्रदूषण और संबंधित समस्याओं के परिणामस्वरूप 2020 में भारत में 120,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वायु प्रदूषण से भारत में ₹2 लाख करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ। सबसे ज्यादा मौतें दिल्ली में हुई हैं। अकेले दिल्ली में 50 हजार से ज्यादा मौतें हुईं है। यह आकंड़ा किसी भी आतंकवादी हमले या दंगों के कारण हुई मौतों से ज्यादा है।
भारत की हवा जहरीली
2021 में मध्य और दक्षिण एशिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 12 भारत में थे। दिल्ली में 2021 में PM2.5 में 14.6 फीसदी की वृद्धि देखी गई। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में एशिया के 10 प्रदूषित शहरों में आठ दिल्ली के थे। शिकागो विश्वविद्यालय की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण वर्तमान में दिल्ली में लोगों की जीवन आयु को 10 साल कम कर रहा है। यह रिपोर्ट इस बात की भी पुष्टि करती है कि भारत-दुनिया में सबसे प्रदूषित क्षेत्र होने के साथ-साथ इसकी वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार नहीं है। यही कारण है कि औसतन हर भारतीय की जिंदगी पांच साल कम हो गई है।
हाल बहुत है खराब
भारत का लक्ष्य 2024 तक पीएम उत्सर्जन को 30 प्रतिशत तक कम करना है। लेकिन, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि 2019 के बाद से 132 शहरों में से कुल 102 शहर ऐसे हैं जहां प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानकों से नीचे है।
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