कूनो नेशनल पार्क: विशेषज्ञ ने कहा- अभी मौतों का आंकड़ा और बढ़ेगा, चीते करेंगे इन मुश्किलों का सामना
इस वन्यजीव विशेषज्ञ ने अन्य जानवरों को संसाधनों तक पहुंचने से रोकने के लिए बाड़ लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि बिना बाड़ वाले अभ्यारण्य में चीतों को फिर से बसाना कभी भी सफल नहीं रहा।
तेंदुओं और बाघों का सामना करेंगे चीते
Kuno National Park: कूनो नेशनल पार्क में दो और चीता शावकों की मौत ने भारत में प्रोजेक्ट चीता के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है। दक्षिण अफ्रीका के वन्यजीव विशेषज्ञ विन्सेंट वैन डेर मर्व ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बाचतीच में कहा कि आने वाले महीनों में इन चीतों की मृत्यु दर में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि संभावना है कि मृत्यु दर पहले वर्ष में 50% तक बढ़ सकती है। उन्होंने कहा, पहले वर्ष में 50 प्रतिशत मृत्यु दर का अनुमान है, हमें पता है कि कि केवल 10 ही बचने जा रहे हैं।
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तेंदुओं और बाघों का सामना करेंगे चीते
उनके अनुसार, मौतें ज्यादा होंगी क्योंकि ये चीते अपने इलाके स्थापित करने की कोशिश करेंगे और राष्ट्रीय उद्यान के अंदर तेंदुओं और बाघों का सामना करेंगी। उन्होंने आगे बताया कि हाल ही में हुई मौतें स्वीकार्य सीमा के भीतर हैं, हालांकि प्रेमालाप के दौरान नर चीतों द्वारा मादा चीता की हत्या की समीक्षा करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम का गठन अनावश्यक था। मर्व देश में चीतों को फिर से आबाद करने के लिए भारत सरकार की बहुप्रतीक्षित परियोजना से निकटता से जुड़े हुए हैं।
बाड़ा लगाने का दिया सुझाव
इस वन्यजीव विशेषज्ञ ने अन्य जानवरों को संसाधनों तक पहुंचने से रोकने के लिए बाड़ लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि बिना बाड़ वाले अभ्यारण्य में चीतों को फिर से बसाना कभी भी सफल नहीं रहा। अफ्रीका ने इसे 15 बार आजमाया और असफल रहा। कई विशेषज्ञों, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कुनो पार्क में जगह की कमी और रसद सप्लाई पर चिंता जताई है और चीतों को अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है। मर्व ने मुकुंदरा हिल्स में कम से कम दो से तीन चीते लाने और उन्हें वहां प्रजनन करने कराने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, मुकुंदरा हिल्स पूरी तरह से घिरी हुई है। हम जानते हैं कि चीते वहां बहुत अच्छे से पलेंगे। एकमात्र समस्या यह है कि यह इस समय पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसलिए आपको कुछ काले हिरन और चिंकारा लाने होंगे। और जब बाड़ लगाना पूरा हो जाएगा नौरादेही और गांधीसागर में हमारे पास तीन फेंस रिजर्व होंगे और फिर हमें कामयाबी मिलेगी।
इस वजह से होगी चीतों की मौत
इस वन्य जीव विशेषज्ञ ने कहा कि चीतों को स्थानांतरित करने के बाद उनकी मौत सामान्य है। हालांकि, बाड़े के बाहर उनकी मौतें वहीं होती हैं, जहां असली खतरा होता है। इसी जगह आप शिकार की चोट के कारण मृत्यु दर की उम्मीद कर सकते हैं। चीते अपने इलाके की स्थापना करने और एक दूसरे के साथ लड़ना जारी रखेंगे और क्षेत्रों के लिए और मादाओं तक पहुंच के लिए एक दूसरे को मार डालेंगे। वे तेंदुओं का सामना करने जा रहे हैं। कूनो में अब बाघ भी घूम रहे हैं। मृत्यु दर का सबसे बुरा आंकड़ा आना अभी बाकी है।
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