दीपोत्सव के साथ संवरती चली गई अयोध्या, 20 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स से नया रूप ले रही राम नगरी

साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में दीपोत्सव मनाने की परंपरा शुरू हुई और इसी के साथ ही शुरू हुआ अयोध्या को संवारने का महाअभियान। आज एक तरफ अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का हो रहा निर्माण, दूसरी तरफ इस प्राचीन नगरी के वैभव को दोबारा वापस लाने में योगी सरकार जुटी है। दुनिया की पहली सर्व सुविधायुक्त नगरी अयोध्या के पुराने वैभव को वापस लाने में योगी सरकार काम कर रही है।

मुख्य बातें
इस प्राचीन नगरी के वैभव को दोबारा वापस लाने में जुटी है योगी सरकार
440 करोड़ से अयोध्या में अन्तरराष्ट्रीय स्तर के रेलवे स्टेशन का हो रहा निर्माण
200 करोड़ की शुरुआती लागत से बन रहामर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एयरपोर्ट

पवित्र सप्तपुरियों में से एक भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या का इतिहास सदा ही वैभवशाली रहा है। हालांकि, युगों तक प्रचुर धन-धान्य से संपन्न, सुखी और समृद्धशाली अयोध्या ने वो कालखंड भी देखा है, जब विदेशी आक्रांताओं ने धरती की अमरावती कही जाने वाली इस नगरी को हर प्रकार से लगभग नेस्तनाबूत करने की कगार तक पहुंचा दिया था। हजार साल की गुलामी का दौर खत्म होने और आजादी के दशकों बाद तक अयोध्या राजनीतिक रूप से तिरस्कृत ही रही। इसके बावजूद करोड़ों आस्थावान श्रीरामभक्तों के हृदय में अवधपुरी की जो त्रेतायुगीन गौरवमयी छवि बसी थी, उसे कभी ना कभी तो मूर्त रूप लेना ही था। और, इस कार्य की शुरुआत हुई सन 2017 से जब उत्तर प्रदेश की बागडोर योगी आदित्यनाथ के हाथों में आयी।

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दीपोत्सव से अयोध्या को संवारने का हुआ शुभारंभ

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सहस्त्र वर्ष की पराधीनता के कारण धूमिल हुए अयोध्या नगरी के प्राचीन वैभव को दोबारा वापस लाना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने एक विशाल चुनौती थी। इस महान लक्ष्य की ओर अग्रसर होने का शुभारंभ योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव के जरिए किया। दीपोत्सव, जिसे प्रभु श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण जी के वनवास से लौटने की स्मृति में योगी सरकार हर वर्ष दीपावली से ठीक एक दिन पहले आयोजित कराती है। अयोध्या में 2017 में दीपोत्सव की शुरुआत ही वो मील का पहला पत्थर है, जिसके बाद प्रभु की नगरी संवरती ही जा रही है।

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