सेना को जल्द मिलेंगे आर्टिलरी गन और हाई मोबिलिटी व्हीकल, रक्षा मंत्रालय ने की 6900 करोड़ रुपये की डील
यह पहली बार है जब भारतीय सेना ने निजी क्षेत्र से इतने बड़े स्तर पर तोपों की खरीद की है। भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स को यह अनुबंध देकर न केवल भारतीय रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित किया गया है, बल्कि देश में रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया गया है।

रक्षा मंत्रालय ने की बड़ी डील
Defence Ministry Deal: भारतीय सेना की युद्धक क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रक्षा मंत्रालय (MoD) ने भारत फोर्ज लिमिटेड और टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड के साथ 6,900 करोड़ रुपये के दो प्रमुख रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये अनुबंध 155mm/52 कैलिबर एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) और हाई मोबिलिटी व्हीकल 6x6 गन टोइंग वाहनों की खरीद के लिए किए गए हैं। दक्षिण ब्लॉक, नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में यह करार हुआ। इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) के परियोजना निदेशक, जिन्होंने ATAGS परियोजना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्हें रक्षा सचिव द्वारा सम्मानित भी किया गया।
भारतीय सेना की ताकत में इजाफा
155mm/52 कैलिबर ATAGS पुराने और कम क्षमता वाली तोपों की जगह लेंगी। इन तोपों की मारक क्षमता अधिक है और ये लंबी दूरी तक सटीक निशाना साध सकती हैं। इनकी उच्च लेथैलिटी (घातकता) और सटीकता भारतीय सेना की तोपखाना रेजीमेंट्स की ताकत को कई गुना बढ़ा देगी। इससे सेना की ऑपरेशनल रेडीनेसमें अहम वृद्धि होगी। ATAGS न केवल दुश्मन के ठिकानों पर सटीक प्रहार कर सकेगी, बल्कि इसकी स्वदेशी तकनीक भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगी। इन गनों का उपयोग पर्वतीय, मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में आसानी से किया जा सकता है, जिससे यह भारतीय सेना के लिए एक बहुउपयोगी हथियार साबित होगा।
निजी क्षेत्र की भागीदारी से रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा
यह पहली बार है जब भारतीय सेना ने निजी क्षेत्र से इतने बड़े स्तर पर तोपों की खरीद की है। भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स को यह अनुबंध देकर न केवल भारतीय रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित किया गया है, बल्कि देश में रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया गया है। 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत इस परियोजना से स्थानीय रक्षा निर्माण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। साथ ही, भारतीय कंपनियां रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगी।
1.40 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत खरीद समझौते
वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत के बाद से अब तक रक्षा मंत्रालय द्वारा कुल 1.40 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत खरीद अनुबंध किए जा चुके हैं। यह भारत की रक्षा क्षमता को आधुनिक और मजबूत बनाने के सरकार के संकल्प को दर्शाता है। इन समझौतों के माध्यम से भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक उपकरण और हथियार प्रणाली उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक सशक्त बनाया जा सकेगा।
ATAGS और 6x6 गन टोइंग वाहनों की खरीद भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ये आधुनिक और स्वदेशी रक्षा उपकरण भारत की युद्धक क्षमताओं को नए आयाम देंगे। यह परियोजना भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने और देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
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