Defense Ministry: अब चीन पर होगा प्रचंड प्रहार, 2 लाख करोड़ रुपये की मेगा सैन्य परियोजनाओं पर चर्चा आज
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में 2 लाख करोड़ की मेगा सैन्य परियोजनाओं पर होगी चर्चा। इस बैठक में दो मेगा लड़ाकू विमान परियोजनाओं और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर सौदे पर लग सकती है मुहर।
2 लाख करोड़ की मेगा सैन्य परियोजनाओं पर आज होगी चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को और बढ़ावा देने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्रालय लगभग करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर चर्चा के लिए एक बैठक आयोजित करने वाला है। इस बैठक में दो मेगा लड़ाकू विमान परियोजनाओं और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर सौदे सहित 2 लाख करोड़ की परियोजनाओं पर चर्चा होगी।
84 एसयू-30 एमकेआई के अपग्रेड पर लग सकती है मुहर
रक्षा सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में हाई-प्रोफाइल रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक गुरुवार को होने वाली है और इसमें शीर्ष सैन्य अधिकारी शामिल होंगे। एजेंडे में शामिल परियोजनाओं में 97 हल्के लड़ाकू विमान मार्क1ए खरीदने और 84 एसयू-30 एमकेआई को अपग्रेड करने का भारत का अब तक का सबसे बड़ा सौदा शामिल है।
Defense Minister Rajnath Singh
सैन्य उद्योग के लिए बड़ी निर्यात संभावनाएं खुलने की उम्मीद
सूत्रों ने कहा कि दोनों परियोजनाओं को स्वदेशी रूप से लागू करने की योजना है, जिससे भारतीय सैन्य उद्योग के लिए बड़ी निर्यात संभावनाएं खुलने की उम्मीद है। दूसरी बड़ी परियोजना 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर प्रचंड के अधिग्रहण की योजना है जिसे सेना और वायु सेना के बीच विभाजित किया जाएगा जो इस मामले में खरीद के लिए अग्रणी सेवा है। इस योजना में 400 टॉवर आर्टिलरी गन सिस्टम खरीदना भी शामिल है जिसकी लागत लगभग 6,500 करोड़ रुपये होने की संभावना है।
Combat Helicopter Prachanda
तस्वीर साभार : Twitter
बैठक में चर्चा के लिए भारतीय सेना के पास असॉल्ट राइफल खरीद और बख्तरबंद कार्मिक वाहक से संबंधित प्रस्ताव भी हैं। भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल वायु रक्षा प्रणाली भी स्वदेशीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्होंने विदेशी देशों से आयात पर लगभग प्रतिबंध लगा दिया है।
सेनाओं को उनकी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वदेशीकरण के कई मार्गों की अनुमति दी गई है, लेकिन स्वदेशी रूप से विकसित और डिजाइन किए गए उपकरणों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। स्वदेशीकरण की राह पर चलकर भारत दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक होने के टैग से भी छुटकारा पाने में सफल रहा है।
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