जिस INS Beas से कांपता है पाकिस्तान! उसे और खतरनाक बनाएगी सरकार, करेगी 313 करोड़ रुपये खर्च

क्षा मंत्रालय ने आईएनएस ब्यास के निश्चित अवधि के बाद होने वाले 'मिड लाइफ अपग्रेड' और उसे पुन: सशक्त बनाने के लिए सोमवार को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ 313 करोड़ रुपये के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है।

INS Beas

INS Beas को और आधुनिक बनाएगी सरकार (फोटो- George.Hutchinson)

भारत सरकार सेना के तीनों अंगों को लगातर आधुनिक बनाने के काम पर लगी है। इसी क्रम में रक्षा मंत्रालय ने उस युद्धपोत को अपग्रेड करने का फैसला किया है, जिसके नाम से ही पाकिस्तान कांप जाता है। सरकार INS Beas को अपग्रेड करने जा रहा ही, इस पर सरकार 313 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

कौन करेगा अपग्रेड

रक्षा मंत्रालय ने आईएनएस ब्यास के निश्चित अवधि के बाद होने वाले 'मिड लाइफ अपग्रेड' और उसे पुन: सशक्त बनाने के लिए सोमवार को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ 313 करोड़ रुपये के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है। मंत्रालय ने कहा कि पोत को पुन: सशक्त बनाने की यह पहली परिवर्तनकारी परियोजना भारतीय नौसेना के रखरखाव संबंधी दर्शन और सीएसएल की मरम्मत क्षमता में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाने वाली साबित होगी।

किया बदलेगा

आईएनएस ब्यास, ब्रह्मपुत्र श्रेणी का पहला ऐसा युद्धपोत है, जिसे भाप वाले इंजन से डीजल वाले इंजन में तब्दील किया जाएगा। मंत्रालय ने एक बयान में कहा- "'2026 में मिड-लाइफ अपग्रेड और पुन: सशक्त करने का काम पूरा होने के बाद आईएनएस ब्यास एक आधुनिक हथियार से सुसज्जित और उन्नत लड़ाकू क्षमता वाले युद्धपोत के रूप में फिर से भारतीय नौसेना के सक्रिय बेड़े में शामिल होगा।'"

मिलेगा रोजगार

इस परियोजना में 50 से अधिक एमएसएमई शामिल होंगी और 3,500 से अधिक कर्मियों को रोजगार मिलेगा। मुतायह परियोजना सरकार के 'मेक-इन-इंडिया' कार्यक्रम के अंतर्गत 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के हिस्से के रूप में शुरू की गई है।

आईएनएस ब्यास का इतिहास

आईएनएस ब्यास (F37) भारतीय नौसेना का ब्रह्मपुत्र श्रेणी का युद्धपोत है। इसका निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में किया गया था। जहाज का डिज़ाइन और निर्माण पूरी तरह से भारतीय है, और यह गोदावरी-श्रेणी के युद्धपोत का एक संशोधन है। यह आधुनिक सेंसर सुइट्स और मिलान हथियार प्रणालियों से सुसज्जित है। ब्यास का नाम ब्यास नदी के नाम पर रखा गया है। यह नाम रखने वाला वह भारतीय नौसेना का दूसरा जहाज है। पहला तेंदुआ श्रेणी का युद्धपोत था जिसे 1960 में कमीशन किया गया था और 1992 में ख़त्म कर दिया गया था। जिसके बाद INS Beas नए अवतार में 2005 में नौसेना में शामिल हुआ।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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