दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसा: जमानत के लिए CBI कोर्ट पहुचेंगे बेसमेंट मालिक, तीस हजारी कोर्ट ने किया याचिका का निपटारा

शुक्रवार 2 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने राजेंद्र नगर में स्थित एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत के मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआई को सौंप दी।

Coaching Centre deaths in Delhi

दिल्ली कोचिंग सेंटर में मौत का मामला

Delhi Coaching Center Deaths: दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसे में बेसमेंट के चार सह-मालिकों की जमानत याचिका का आज तीस हजारी कोर्ट ने निपटारा कर दिया। अब सभी आरोपी सीबीआई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल कर सकेंगे। आज अदालत ने जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने का अनुरोध संज्ञान में लिया और बेसमेंट के चार सह-मालिकों की जमानत याचिका का निपटारा किया। अदालत ने बेसमेंट मालिकों को सीबीआई अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर करने की छूट दी। 'बेसमेंट' मालिकों के वकील ने कहा कि राउज एवेन्यू स्थित सीबीआई अदालत में आज एक नई जमानत अर्जी दाखिल की जाएगी।

चारों सह-मालिकों को जमानत देने से इनकार

मजिस्ट्रेट अदालत ने बेसमेंट के सह मालिक परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह को जामनत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली की एक अन्य अदालत का दरवाजा खटखटाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार ने सह-मालिकों की अपील पर सुनवाई करते हुए उन्हें उपयुक्त या सीबीआई अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर करने की छूट दी। बेसमेंट के सह-मालिकों के वकील अमित चड्ढा ने कहा, अदालत से (लिखित) आदेश मिलने के बाद हम आज सीबीआई अदालत के समक्ष नयी जमानत याचिका दायर करेंगे।

दिल्ली कोचिंग सेंटर मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंपी

शुक्रवार 2 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने राजेंद्र नगर में स्थित एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत के मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआई को सौंप दी। हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए सौंपी कि जनता को जांच पर कोई संदेह न हो। अदालत ने बेसमेंट में पानी भरने से तीन अभ्यर्थियों की मौत के मामले में एक वाहन चालक को गिरफ्तार करने को लेकर दिल्ली पुलिस की आलोचना करते हुए कहा, गनीमत है कि आपने बेसमेंट में घुसने वाले बारिश के पानी का चालान नहीं काटा। अदालत ने कहा, आपने कहा होता कि पानी की हिम्मत कैसे हुई कि वह बेसमेंट में घुस गया। जिस तरह से आपने एसयूवी चालक को वहां कार चलाने के लिए गिरफ्तार किया था, आप पानी पर भी जुर्माना लगा सकते थे। वाहन चालक मनुज कथूरिया पर आरोप था कि वह 27 जुलाई को अपना वाहन लेकर जलमग्न सड़क से गुजरे थे जिससे पानी उन तीन मंजिला इमारत के गेट से टकराया और गेट टूट गया जहां कोचिंग सेंटर स्थित था। आरोप था कि इससे इमारत के बेसमेंट में पानी भर गया जिसमें डूबने से तीन छात्रों की मौत हो गई।

जांच की निगरानी के लिए सीवीसी को निर्देश

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने आपराधिक मामले में सीबीआई द्वारा समयबद्ध तरीके से की जाने वाली जांच की निगरानी के लिए केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने को कहा। अदालत ने कहा, हमें बड़ी तस्वीर को देखने की जरूरत है, क्योंकि शहर में कहीं अधिक बुनियादी समस्या है और अब समय आ गया है कि दिल्ली के प्रशासनिक, वित्तीय और भौतिक बुनियादी ढांचे पर फिर से विचार किया जाए, जो पुराना हो चुका है और वर्तमान जरूरतों के अनुरूप नहीं है। इसने इस मुद्दे से निपटने और आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की, जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) उपाध्यक्ष, दिल्ली पुलिस आयुक्त और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आयुक्त भी शामिल हैं।

एमसीडी को लगाई फटकार

अदालत ने कहा, घटना की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जनता को जांच के संबंध में कोई संदेह न हो, यह अदालत मामले की जांच सीबीआई को सौंपती है। पीठ ने छात्रों के डूबने की घटना को लेकर पुलिस और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को फटकार लगाते हुए कहा कि वह यह समझ पाने में असमर्थ है कि छात्र बाहर कैसे नहीं आ सके। अदालत ने साथ ही यह भी जानना चाहा कि क्या दरवाजे अवरुद्ध थे या सीढ़ियां संकरी थीं। इसने कहा, आपका क्या कहना है? बच्चे कैसे डूबे? आपने अभी जांच की है। अभी दो अगस्त है। वे बेसमेंट से बाहर क्यों नहीं आ पाए? बेसमेंट में तुरंत पानी नहीं भरता। बेसमेंट में पानी भरने में कम से कम दो-तीन मिनट लगते हैं, एक मिनट में नहीं भर सकता। वे बाहर क्यों नहीं आ पाए?

जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल रहे हैं अधिकारी

पीठ ने कहा कि प्रशासनिक तौर पर दिल्ली में कई प्राधिकारी हैं जो केवल जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल रहे हैं और इसके अलावा कुछ कर नहीं रहे हैं। इसने कहा कि आम धारणा यह है कि नगर निगम के अधिकारी अक्षम हैं। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि अगर प्रशासक मुफ्तखोरी की संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं, तो उन्हें नहीं पता कि ढांचे को कैसे बदला जाए। अदालत ने कहा, जीएसटी में एक बदलाव और राजस्व बढ़ जाएगा। आपको लीक से हटकर सोचना होगा। अगर आपको दिल्ली जैसी जगह पर राजस्व नहीं मिलता है, तो आपको यह कहीं और नहीं मिलेगा। इसने कहा कि दिल्ली में भौतिक बुनियादी ढांचा करीब 75 साल पुराना है और यह न केवल अपर्याप्त है, बल्कि इसका रखरखाव भी ठीक से नहीं किया जाता।
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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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