Medha Patkar Defamation Case: नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर मानहानि मामले में दोषी करार, एलजी वीके सक्सेना से जुड़ा है मामला

Medha Patkar Defamation Case: नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ीं मेधा पाटकर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। दिल्ली की साकेत अदालत ने उन्हें मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराया है। कोर्ट ने यह फैसला तत्कालीन केवीआईसी अध्यक्ष वीके सक्सेना (अब दिल्ली एलजी) द्वारा दायर याचिका पर सुनाया है।

मानहानि मामले में मेधा पाटकर दोषी करार

Medha Patkar Defamation Case: सामाजिक कार्यकर्ता व नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ीं मेधा पाटकर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। दिल्ली की साकेत अदालत ने उन्हें मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराया है। कोर्ट ने यह फैसला तत्कालीन केवीआईसी अध्यक्ष वीके सक्सेना (अब दिल्ली एलजी) द्वारा दायर याचिका पर सुनाया है। जानकारी के मुताबिक, मेधा पाटकर को दो साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।

जानकारी के मुताबिक, मेधा पाटकर जिस मामले में दोषी करार दी गई हैं, वह करीब 20 साल पुराना है। मेधा पाटकर और दिल्ली एलजी वीके सक्सेना के बीच यह मामला 2003 से चल रहा है। तब मेधा पाटकर ने अपने और नर्मादा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर करवाया था। इसके बाद वीके सक्सेना, जोकि अहमदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे, ने मेधा पाटकर के खिलाफ टीवी चैनल पर उनके प्रति मानहानिकारक टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए दो मामले दर्ज कराए थे। जानकारी के मुताबिक, पाटकर ने अपने बयान में वीके सक्सेना को कायर और हवाना लेनदेन में उनकी संलिपत्ता का आरोप लगाया था।

जानबूझकर दिए गए थे बयान

मेधा पाटकर को दोषी ठहराते हुए दिल्ली की साकेत अदालत ने कहा कि मेधा पाटकर ने आईपीसी की धारा 500 के तहत दंडनीय अपराध किया है। उनकी हरकतें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं, जिसका उद्देश्य वीके सक्सेना को अपमानित करना था। उनके बयानों की वजह से शिकायतकर्ता की जनता की नजर में प्रतिष्ठा और साख को भी नुकसान पहुंची है।

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