शिखर धवन की पत्नी को दिल्ली की अदालत का आदेश, बेटे को भारत लेकर आएं
टीम इंडिया के क्रिकेटर शिखर धवन (Shikhar Dhawan) से अलग रह रहीं पत्नी आयशा मुखर्जी (Aesha Mukerji) को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आदेश दिया कि वह अपने 9 साल के बेटे को फैमिली कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया से भारत लाएं। गौर हो कि दोनों ने तलाक और बच्चे की कस्टडी को लेकर भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों में स्थानों कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है।
बेटे को लेकर शिखर धवन और उनकी पत्नी आयशा मुखर्जी में विवाद (तस्वीर-फेसबुक)
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने टीम इंडिया के क्रिकेटर शिखर धवन (Shikhar Dhawan) की अलग रह रही पत्नी आयशा मुखर्जी (Aesha Mukerji) को आदेश दिया है कि वह अपने 9 साल के बेटे को एक पारिवारिक समारोह में भारत लाएं क्योंकि बच्चे पर सिर्फ मां का विशेष अधिकार नहीं होता है। दोनों ने तलाक और बच्चे की कस्टडी को लेकर भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों में स्थानों कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है। पटियाला हाउस कोर्ट के जस्टिस हरीश कुमार ने बच्चे को भारत लाने पर आपत्ति जताने के लिए मुखर्जी को फटकार लगाई। फैमिली कोर्ट को बताया गया कि धवन के परिवार ने अगस्त 2020 से बच्चे से नहीं मिला है। पहले फैमिली कार्यक्रम 17 जून को निर्धारित था लेकिन बच्चे के स्कूल की छुट्टी को देखते हुए परिवार के पुनर्मिलन कार्यक्रम को 1 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि मुखर्जी ने फिर से आपत्ति जताते हुए दावा किया कि यह आयोजन असफल होगा क्योंकि नई तारीख के बारे में परिवार के सदस्यों से सलाह नहीं ली गई थी। जज ने कहा कि भले ही धवन ने अपने परिवार से परामर्श नहीं किया, इसके गंभीर परिणाम नहीं होंगे क्योंकि परिवार के कुछ सदस्य फैमिली कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे।
अगस्त 2020 से भारत नहीं आया है शिखर धवन का बेटा
जज ने देखा कि बच्चा अगस्त 2020 से भारत नहीं आया है और धवन के माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को बच्चे से मिलने का मौका नहीं मिला है। इसलिए जज ने बच्चे की अपने दादा-दादी से मिलने की धवन की इच्छा को वाजिब माना। जज ने मुखर्जी के उन कारणों पर सवाल उठाया, जो नहीं चाहते थे कि बच्चा भारत में धवन के घर और रिश्तेदारों से मिले। बच्चे के स्कूल की छुट्टी और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बच्चा धवन के साथ सहज है। जज ने बच्चे को भारत में कुछ दिन बिताने के उसके अनुरोध को सही पाया। जज ने कहा कि धवन से मिलने में बच्चे की सुविधा के बारे में मुखर्जी की चिंताओं को स्थायी हिरासत की कार्यवाही के दौरान नहीं उठाया गया था और दोनों पक्ष मुकदमेबाजी के लिए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे।
परिवार कलह के बारे में दोनों को करना होगा शेयर
कोर्ट ने कहा कि परिवार के वातावरण को प्रदूषित करने का दोष दोनों को शेयर करना होगा। विवाद तब पैदा होता है जब कोई चिंता करता है और दूसरा उसकी सराहना नहीं करता है या ध्यान नहीं देता है। तब वह याचिकाकर्ता का अपने ही बच्चे से मिलने का विरोध कर रही है जबकि वह बच्चे का बुरा पिता नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धवन वर्तमान आवेदन में बच्चे की स्थायी हिरासत की मांग नहीं कर रहे थे, बल्कि मुखर्जी के खर्च पर केवल कुछ दिनों के लिए बच्चे को भारत में रखना चाहते थे।
बच्चे को लेकर क्या डर है?
कोर्ट ने कहा कि खर्च पर मुखर्जी की आपत्ति उचित हो सकती है और परिणामी आपत्ति ठीक हो सकती है लेकिन उसकी अनिच्छा को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। वह यह नहीं बता पाई है कि बच्चे को लेकर याचिकाकर्ता के बारे में उसका क्या डर है और उसने उसे वॉच लिस्ट में डालने के लिए ऑस्ट्रेलिया में कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया। अगर याचिकाकर्ता को बच्चे की कस्टडी लेने के लिए कानून अपने हाथ में लेने का इरादा होता तो वह भारत में अदालत से संपर्क नहीं करता। एक बार जब उसका डर स्पष्ट नहीं होता तो याचिकाकर्ता को अनुमति देने के लिए उसकी आपत्ति अपने बच्चे से मिलने की सराहना नहीं की जा सकती।
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