न OTP, न बात...किए चंद ब्लैंक कॉल और खाते से उड़ गए 50 लाख, यूं Delhi में हुआ Call Fraud
Blank Call Fraud in Delhi: कहा जा रहा है कि इस वारदात के मास्टरमाइंड झारखंड के जामताड़ा (साइबर फ्रॉड के लिए कुख्यात) से हो सकते हैं। आशंका है कि जालसाजों के पास पहले ही पीड़ित के बैंक डिटेल थे और यह उन्होंने संभवतः फिशिंग या विशिंग (एक किस्म का फ्रॉड) के जरिए हासिल किए थे।
दरअसल, ब्लैंक कॉल फ्रॉड में पीड़ित के पास सिर्फ कॉल आती है, जिसमें कोई कुछ बोलता नहीं है और मिस कॉल फ्रॉड में मिस कॉल के बाद रकम खाते से निकल जाती है। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)
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अंग्रेजी अखबार 'टीओआई' की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला दक्षिणी दिल्ली में सिक्योरिटी सर्विस फर्म (कंपनी) के डायरेक्टर से जुड़ा है। जालसाजों की ओर से उन्हें 10 अक्टूबर की शाम सात बजे से आठ बजकर 45 मिनट के बीच बार-बार सिर्फ कुछ ब्लैंक और मिस कॉल्स दी गई थीं। उन्होंने इन कॉल्स में कुछ को रिसीव किया, पर उधर से (कॉलर) कोई आवाज न आई तो उन्होंने आगे उन्हें पिक नहीं किया।
उन्होंने इसके बाद अपने फोन पर मैसेज इनबॉक्स चेक किया तो वहां उन्हें आरटीजीएस (इंस्टैंट फंड ट्रांसफर) ट्रांजैक्शन के बारे में पता चला, जिसके बाद वह समझ पाए कि उनके बैंक के चालू खाते (करंट अकाउंट) से 50 लाख रुपए फुर्र हो गए थे। सबसे हैरान करने वाली बात है कि फर्जीवाड़े के इस केस में न तो वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मांगा गया और न ही दिया गया।
शुरुआती जांच-पड़ताल में मालूम पड़ा कि 12 लाख रुपए किसी भास्कर मंडल के खाते में ट्रांसफर हुए, जबकि 4.6 लाख रुपए किसी अभिजीत गिरी के अकाउंट में पहुंचे। इस बीच, यह भी पता चला कि करीब 10-10 लाख रुपए दो और खातों में चले गए। साथ ही कुछ कम राशि के लेन-देन भी हुए थे।
कहा जा रहा है कि इस वारदात के मास्टरमाइंड झारखंड के जामताड़ा (साइबर फ्रॉड के लिए कुख्यात) से हो सकते हैं। आशंका है कि जालसाजों के पास पहले ही पीड़ित के बैंक डिटेल थे और यह उन्होंने संभवतः फिशिंग या विशिंग (एक किस्म का फ्रॉड) के जरिए हासिल किए थे।
पुलिस को शक है कि जालसाजों ने हो सकता है कि आरटीजीएस ट्रांसफर किया हो और फोन पर ओटीपी इनेबल कर लिया हो। हो सकता है कि ठगों ने घटना के दौरान एक समानांतर कॉल पर आईवीआर के जरिए ओटीपी पा लिया हो। सिम स्वैप स्कैम की भी आशंका जताई जा रही है। इस बीच, 'टाइम्स नाउ नवभारत' को डीसीपी सायबर सेल की ओर से बताया गया कि पीड़ित को ओटीपी मिला था। चूंकि, उनका मोबाइल नंबर 'कंप्रोमाइज' हो चुका था, इसलिए उन्हें पता न चल सका।
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