ईडी की दलीलों के सामने मनीष सिसोदिया हुए पस्त, जांच एजेंसी ने किए अहम खुलासे
मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया के रिमांड पेपर में प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने कई अहम खुलासे किये। ED ने कहा कि अभी तक की जांच और उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह स्पष्ट है कि मनीष सिसोदिया आबकारी नीति बनाने की प्रक्रिया में शमिल थे। मनीष सिसोदिया के बयान में विसंगतियों का हवाला भी दिया।
ईडी ने अदालत के सामने रखे ये तथ्य
जब मनीष सिसोदिया पूछा गया कि थोक विक्रेता के लाभ मार्जिन को 12% पर रखने के लिए तर्क और गणना क्या थी? तो सिसदिया ने कहा कि चूंकि 2020-21 की पिछली नीति में 5% लाभ मार्जिन की गणना सही थी नहीं थी, इसलिए GOM ने उसको 12% तक बढ़ा दिया, ED ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने अपने बयान में कहा कि 12% लाभ मार्जिन का निर्णय तत्कालीन उत्पाद आयुक्त को ड्राफ्ट बनाने में शामिल करने के लिए दिया गया था, हालांकि तत्कालीन उत्पाद आयुक्त ने पहले ही बयान में कहा था कि GOM या मनीष सिसोदिया से थोक विक्रेताओं को 12% का लाभ मार्जिन रखने के लिए कोई चर्चा या निर्देश नहीं था। ED ने कहा यह स्पष्ट रूप से सिसोदिया द्वारा दिया गया झूठा बयान है।
सिसोदिया ने अपने पीए के फोन का किया इस्तेमाल
प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने कहा कि मोबाइल फोन में जमा डिजिटल डेटा को नष्ट करने के लिए नए तरीके तैयार किये। ED ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने अपने पी. एस. एच. देवेंद्र शर्मा के नाम से सिम के का इस्तेमाल किया बल्कि विभिन्न नामों पर खरीदे गए मोबाईल फोन का इस्तेमाल भी किया। ED ने कहा कि जिस तरह से सबूतों और साक्ष्यों को नष्ट किया गया उससे यही अनुमान निकलता है कि मनीष सिसोदिया ने धनशोधन के अपराध के साक्ष्य को नष्ट करने के सचेत प्रयास किया
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