तो AAP ने अवैध फंड एकत्र करने के लिए रखी थी आबकारी नीति में कमियां? ED के आरोप पत्र में हैरान करने वाले खुलासे

ED के आरोप पत्र के मुताबिक, ​​कुछ निजी कंपनियों को मनमाफिक मुनाफा पहुंचाना जोकि सरकार के साथ मिलकर इस शराब नीति को बनाने में हिस्सेदार थे। बड़े पैमाने पर डिजिटल एविडेंस को नष्ट किया गया। इस भ्रष्टाचार के आरोपियों द्वारा कोशिश की गई कि इससे जुड़े सबूत जैसे कि डिजिटल डाटा और रिश्वत से जुड़े सभी कॉल रिकॉर्ड मैसेज को नष्ट कर दिया जाए।

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प्रतीकात्मक फोटो

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Delhi Liquor Policy: दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले (Money Laundering) में यहां की एक अदालत ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पहले आरोप पत्र पर संज्ञान लिया, जिसमें शराब कारोबारी समीर महेंद्रू और चार कंपनियों को नामजद किया गया है। ईडी की जांच में आरोप पत्र में कई बाते निकलकर सामने आई हैं। आबकारी नीति (Excise Policy) में अब तक की ईडी की जांच आरोप पत्र के हिसाब से दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 इस हिसाब से बनाई गई थी जिससे आम आदमी पार्टी (AAP) अवैध रूप से फंड इकट्ठा कर सके। जांच पत्र के मुताबिक, जानबूझकर इस पॉलिसी में कमियां रखी गई थी जिससे गैर कानूनी काम किए जा सके जो कि पॉलिसी बनाने वालों का इरादा साफ करती है।

क्या है आरोप पत्रईडी की जांच आरोप पत्र के हिसाब से जो अहम बातें निकलकर सामने आई हैं वो इस प्रकार हैं-

  1. एक तरफ नई आबकारी नीति बनाने की पीछे यह दावा किया गया इस से दिल्ली में शराब माफियाओं पर रोक लगेगी लेकिन बैक डोर से इसमें ठोक विक्रेताओं को 12 फ़ीसदी का मार्जिन दिया गया जिसमें से छह फ़ीसदी आम आदमी पार्टी के नेताओं को जाना था।
  2. एक आरोपी व्होलसेलर इंडोस्पिरिट ने करीब 14 करोड़ शराब की बोतलें बेची और उसे 192 करोड़ का मुनाफा हुआ. लेकिन एक व्होलसेलर जो सरकार का मनपसंद नहीं था वो सिर्फ 21685 का ही फायदा कमा पाया। इंडोस्पिरिट को मुनाफा इसलिए हुआ क्योंकि मैन्नुफैक्चरर तय कर रहे थे की किसे सप्लाई दी जाएगी. इस मामले में एक अन्य आरोपी Pernod Ricard को विजय नायर आदेश देता था कि इंडो स्पिरिट को शराब सप्लाई करनी है. कि दिल्ली की आबकारी नीति के आड़ में एक शराब माफियाओं का काटल चल रहा था और कुछ निर्माताओं और विक्रेताओं को सरकार की मदद से मुनाफा पहुंचा कर बैक डोर से किकबैक लिया जा रहा था।
  3. विजय नायर ने कुछ थोक विक्रेताओं पर जबरन दबाव बनाकर उनका लाइसेंस सरेंडर कराया.. फिर शराब मैन्युफैक्चरर्स को अपनी मर्जी के होलसेलर लाइसेंस चुनने के लिए कहा जिससे अपने लोगों को मुनाफा हो सके। विजय नायर जोकि इस पूरे शराब नीति घोटाले का कर्ताधर्ता है वह आम आदमी पार्टी का कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सबसे खास सहयोगी है ईडी को दिए गए बयान में विजय नायर ने यह बताया है कि वह अरविंद केजरीवाल के कैंप ऑफिस से ही काम करता है।
  4. विजय नायक 2020 से दिल्ली के मंत्री कैलाश गहलोत को अलाउड हुए सरकारी बंगले में रह रहा है और उसका इसके अलावा दिल्ली में कोई घर नहीं है. जबकि खुद मंत्री कैलाश गहलोत नजफगढ़ में अपने निजी मकान में रहते हैं।
  5. विजय नायर को एक ग्रुप की तरफ से आम आदमी पार्टी के नेताओं के लिए 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मिली जोकि दक्षिण भारत से जुड़ा हुआ है जिसके महत्वपूर्ण लोग हैं मांगुंटा श्रीनिवासुलू रेड्डी, राघव, शरथ रेड्डी और के कविता(केसीआर की बेटी). एक एग्रीमेंट के तहत यह सारे पैसे एडवांस में दिए गए थे। इसके बदले में इस ग्रुप को मनचाहा फायदा मिला दिल्ली में , व्होलसेलर और रिटेल पॉलिसी में.. रिश्वत लेने के लिए साउथ ग्रुप के पार्टनर स्कोर इंडोस्पिरिट में 65 फ़ीसदी हिस्सेदारी दी गई जिसका कर्ताधर्ता आरोपी समीर महेंद्रु है। विजय नायर ने वादा किया था कि Pernod Ricard का सारा बिजनेस इंडो स्पिरिट को दिया जाएगा।
  6. साउथ ग्रुप में इंडो स्पीड में अपनी हिस्सेदारी को दिखाने के लिए झूठे और फर्जी नामों का इस्तेमाल किया जैसे कि अरुण पिल्लई और प्रेम राहुल। असल में इंडोस्पिरिट का मालिक समीर महेंद्रु कभी अपने पार्टनर प्रेम राहुल से मिला ही नहीं जबकि प्रेम राहुल इंडोस्पिरिट में 32.5 फ़ीसदी का हिस्सेदार है।
  7. इस घोटाले की वजह से सरकार को 581 करोड रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। सरकार को हुए इस राजस्व के नुकसान को गैरकानूनी तरीके से जाहिर तौर पर होलसेलर जिसमें इंडोर स्पीड का नाम शामिल है को डायवर्ट किया गया। यह पैसा साउथ ग्रुप को वापस कर दिया गया जो कि उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेताओं को एडवांस के तौर पर रिश्वत दी थी।
  8. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर साउथ ग्रुप के पास नो रिटेल जोन का नियंत्रण था। रिटेल बिजनेस काफी फायदेमंद था और रोजाना की कमाई भी काफी ज्यादा थी ज्यादातर रिटेल सेल केस में होती थी। क्रेडिट नोट के जरिए भी रिश्वत इकट्ठी की जाती थी।
  9. रहने के लिए कोई बंगलो अलॉट किया जाता है तो वह प्रॉपर्टी उसके व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए होती है लेकिन अगर वह अपनी प्रॉपर्टी रहने के लिए किसी और को देता है तो यह क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट है जोकि इंडियन पेनल कोड की धारा 405 के तहत और धारा 409, 415, 420 के तहत अपराध है। क्योंकि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है ऐसे में ईडी ने इसकी जानकारी सीबीआई को दे दी है।
  10. एक्सपर्ट कमेटी का गठन सिर्फ आंख में धूल झोंकने के लिए किया गया था और इसकी रिपोर्ट को कभी लागू ही नहीं किया गया। बट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह सलाह दी थी कि होलसेल ऑपरेशन सरकार के पास रहना चाहिए, ना की किसी निजी कंपनी के हाथ में। लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसकी वजह से सरकार को राजस्व की प्राप्ति ना होकर निजी कंपनियों को मुनाफा पहुंचा। सबसे गंभीर बात यह है कि दिल्ली में शराब की सप्लाई चैन पर सरकार का कोई नियंत्रण ही नहीं रहा जो कि सबसे बड़ी समस्या थी।
  11. पब्लिक ओपिनियन ली जरूर गई लेकिन उसे लागू नहीं किया गया क्योंकि दिल्ली आबकारी नीति बनाने के लिए सरकार को जो सुझाव मिले थे उसमें होलसेल डिस्ट्रीब्यूशन के लिए 12 वीं सदी का मुनाफा तय करने की कोई बात नहीं थी। 16. 2021-22 की वजह से दिल्ली सरकार को 2873 करोड़ रुपए का राजस्व का नुकसान हुआ। इसकी सबसे बड़ी वजह थी।
  12. इस शराब घोटाले से जुड़े हुए ज्यादातर बड़े सबूत डिजिटल फॉर्मेट में मोबाइल फोन और लैपटॉप में स्टोर किए गए थे। हालांकि जैसे ही इस घोटाले का खुलासा हुआ और ईडी ने इस मामले में जांच करना शुरू की। उसके बाद बड़ी संख्या में इस केस से जुड़े हुए लोगों ने डिजिटल डिवाइस को या तो नष्ट कर दिया या बदल दिया। कम से कम 36 आरोपियों ने 170 फोन नष्ट कर दिए। हालांकि ईडी इनमें से 17 मोबाइल को रिकवर करने में कामयाब रही जिससे रिश्वत के पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सका। लेकिन सभी फोन और लैपटॉप में डाटा को डिलीट कर दिया गया था।
  13. ज्यादातर आरोपियों ने अपने फोन और लैपटॉप मई 2022 से अगस्त 2022 के बीच में बदल दिए। शराब माफिया वरिष्ठ सरकारी अधिकारी दिल्ली के एक्साइज मिनिस्टर और अन्य आरोपियों ने अपने फोन कई बार बदले करीब एक करोड़ 38 लाख की डिवाइस यानी कि मोबाइल फोन और लैपटॉप नष्ट कर दिए गए। जांच के मुताबिक आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने 14 अलग-अलग मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया। समीर महेंद्रू ने पिछले 5 महीनों में 4 बार अपने फोन बदले।
ED की चार्जशीट के मुताबिक समीर महेंद्रू और कुछ बडे थोक व्यापारियों और एक मैन्यूफेक्चरर प्रेनोड रिचर्ड को नई इक्साइज पॉलिसी काफी पहले लीक कर दी गई थी... इक्साइज विभाग की वेबसाइट पर ये पॉलिसी 5 जुलाई 2021 को अपलोड की गई जब कि इन थोक व्यापारियों, समीर महेन्द्रू, और मैन्यूफेक्चरर को लिकर पॉलिसी के दस्तावेज 31 मई 2021 को लीक कर दिया गया था।

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गौरव श्रीवास्तव author

टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना...और देखें

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