Delhi: पुरानी शराब नीति से मालामाल हुई दिल्ली सरकार, एक महीने में ही कमाए 768 करोड़
Delhi Excise Policy: दिल्ली में पुरानी शराब नीति लागू होने का असर सरकार के राजस्व पर साफ देखा जा सकता है। सितंबर माह में पुरानी आबकारी नीति के तहत सरकार को 768 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।
पुरानी शराब नीति से हुई सरकार की बंपर कमाई
- दिल्ली में पुरानी शराब नीति 1 सितंबर से हुई थी लागू
- एक महीने में ही सरकार के राजस्व में हुई बंपर कमाई
- आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकती है शराब की मांग
Delhi Excise Policy News: दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर बीजेपी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) में पिछले कुछ महीनों से लगातार आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। बीजेपी के तीखे हमलों और केंद्रीय एजेंसियों की जांच के बीच केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal) को नई शराब नीति वापस लेनी पड़ी थी और 1 सितंबर से पुरानी शराब नीति (Old Excise Policy) को लागू करना पड़ा था। 1 सितंबर से लागू पुरानी आबकारी नीति व्यवस्था के तहत अब दिल्ली सरकार ने एक महीने में 768 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया।
1 सितंबर से लागू हुई थी पुरानी व्यवस्थासरकार ने 17 नवंबर, 2021 से लागू की गई अपनी नई नीति (2021-22) को वापस लेते हुए 1 सितंबर से पुरानी आबकारी व्यवस्था को लागू कर दिया था। उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने इस साल जुलाई में नई आबकारी नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश थी जिसके के बाद दिल्ली सरकार द्वारा आबकारी नीति 2021-22 को वापस ले लिया गया था।
नई नीति से हुआ था तिमाही में घाटादिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'एक सितंबर से लागू मौजूदा नीति के तहत 768 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया है, जिसमें 460 करोड़ रुपये उत्पाद शुल्क और 140 करोड़ रुपये वैट के रूप में शामिल है।' मौजूदा नीति के तहत, दिल्ली सरकार के चार निगमों - डीटीटीडीसी, डीएसआईआईडीसी, डीएससीएससी, डीसीसीडब्ल्यूएस - ने शहर भर में खुदरा दुकानें खोली हैं। अधिकारी ने कहा कि चारों निगमों का सितंबर महीने का लाभ 40 करोड़ रुपये रहा।
अब तक चारों निगम शहर में शराब की 400 दुकानें खोल चुके हैं। अधिकारियों ने कहा कि साल के अंत तक यह संख्या 700 हो जाएगी। उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग ने विभिन्न शराब के 500 से अधिक ब्रांड भी पंजीकृत किए हैं और अधिक पंजीकरण के साथ इनकी संख्या में और इजाफा होगा। आबकारी नीति 2021-22 के तहत 2022-23 में पहली तिमाही का राजस्व 1,485 करोड़ रुपये था, जो 2,375 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 37.51 प्रतिशत कम रहा था।
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