गर्भवती महिला की शारीरिक स्वायत्तता मौलिक अधिकारों का अभिन्न अंग- दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को 22 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी
जिस महिला ने गर्भपात की अनुमति मांगी थी, उसकी स्थिति काफी दयनीय है। 27 वर्षीय महिला कानूनी रूप से विवाहित है, लेकिन उसे उसके पति ने छोड़ दिया है और यह गर्भधारण सहजीवन संबंध से हुआ है, लेकिन उसके साथी का तब से कोई पता नहीं चल पाया है।
अदालत ने महिला को 22 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी (प्रतीकात्मक फोटो-pixabay)
- महिला को मिली गर्भपात की अनुमति
- गर्भपात के लिए महिला ने कोर्ट का खटखटाया था दरवाजा
- 22 सप्ताह के गर्भ से है महिला
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को गर्भपात की अनुमति देते हुए इसे गर्भवती महिला की शारीरिक स्वायत्तता मौलिक अधिकारों का अभिन्न अंग बताया। महिला 22 सप्ताह के गर्भ से थी और उसके पति का कोई पता नहीं था। जिसके बाद उसने गर्भपात कराने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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महिला को पति ने दिया है छोड़
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला को अस्थायी सहजीवन संबंध से 22 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देते हुए कहा कि गर्भवती महिला की शारीरिक स्वायत्तता और आत्मनिर्णय का अधिकार संविधान में निहित उसके मौलिक अधिकारों का अभिन्न अंग है। अदालत को बताया गया कि 27 वर्षीय महिला कानूनी रूप से विवाहित है, लेकिन उसे उसके पति ने छोड़ दिया है और यह गर्भधारण सहजीवन संबंध से हुआ है, लेकिन उसके साथी का तब से कोई पता नहीं चल पाया है। अपनी सात साल की बेटी का अकेले पालन-पोषण कर रही महिला ने चिकित्सीय गर्भपात अधिनियम के तहत गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी है।
डॉक्टरों ने गर्भपात से कर दिया था मना
महिला ने गर्भपात के लिए चिकित्सकों से संपर्क किया था, लेकिन 20 सप्ताह की स्वीकार्य अवधि से अधिक गर्भकाल होने की वजह से उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता और अजन्मे बच्चे दोनों के लिए पूर्वानुमानित वातावरण को देखते हुए महिला के गर्भवती रहने से उसके मानसिक स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो सकता है।
कोर्ट ने क्या कहा
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा- ‘‘अपने पति द्वारा परित्यक्त अकेली मां के रूप में याचिकाकर्ता को विकट आर्थिक एवं सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सीमित आय के साथ अपने पहले बच्चे का भरण-पोषण करने के लिए संघर्ष करते हुए, उसने 2021 में संशोधित एमटीपी अधिनियम के प्रावधानों को लागू करते हुए, 22 सप्ताह की अवधि में अपने गर्भ को समाप्त करने का एक सुविचारित निर्णय लिया है।’’
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