कब लागू होगा महिला आरक्षण कानून? दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार

Women's Reservation Bill: महिला आरक्षण कानून को तत्काल लागू करने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति प्रसाद ने याचिकाकर्ता को लागू नियमों के अनुसार जनहित याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी।

Delhi High Court

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार।

तस्वीर साभार : भाषा

Delhi High Court News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक अधिवक्ता की उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को तत्काल और समयबद्ध तरीके से लागू करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता का इस मामले में कोई 'व्यक्तिगत हित' नहीं है, उन्होंने इसमें जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने के लिए कहा।

याचिकाकर्ता की ओर से दिया गया ये तर्क

न्यायमूर्ति ने कहा, 'इसमें क्या आपका कोई व्यक्तिगत हित है? यह स्पष्ट रूप से जनहित से जुड़ा है।' याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वह 'संपूर्ण नारीत्व' का प्रतिनिधित्व करती है। न्यायमूर्ति प्रसाद ने याचिकाकर्ता को लागू नियमों के अनुसार जनहित याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी।

सुप्रीम कोर्ट में पहले से लंबित है मामला

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि कानून को लागू करने का मामला पहले से ही उच्चतम न्यायालय में लंबित है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से जाने जाने वाले इस कानून में महिलाओं के लिए लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें आरक्षित करने की परिकल्पना की गई है। वहीं राष्ट्रपति की 29 सितंबर को मिली मंजूरी के बाद इसने कानून का रूप ले लिया था। यह कानून तुरंत लागू नहीं होकर बल्कि एक नई जनगणना आयोजित होने के बाद लागू होगा जिसके आधार पर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए परिसीमन किया जाएगा।

कार्यान्वयन में काफी देरी होने की कही बात

योगमाया एमजी ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में कहा कि भारतीय राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और भागीदारी को बढ़ाने के लिए कानून का प्रभावी कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है, और इसके आवेदन में देरी लोकतंत्र के सिद्धांतों से समझौता होगा। याचिका में कहा गया,'महिला आरक्षण कानून, 2023 के सर्वसम्मति से पारित होने के बावजूद इसके कार्यान्वयन में काफी देरी हुई है। कार्यान्वयन के लिए ठोस प्रगति या स्पष्ट योजना की कमी इस महत्वपूर्ण विधायी उपाय को प्रभावी बनाने में अधिकारियों की ईमानदारी के बारे में चिंता पैदा करती है।'

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