पीएम मोदी को 'जेबकतरा' बोल फिर फंसे राहुल गांधी, हाईकोर्ट सख्त; चुनाव आयोग करेगा फैसला
Rahul Gandhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि राहुल गांधी ने 22 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जो भाषण दिया था, उसमें उन्हें 'जेबकतरा' कहा गया था। 'अच्छे संदर्भ में नहीं था।' दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग को 8 सप्ताह के भीतर मामले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

राहुल गांधी को हाईकोर्ट से लगा झटका!
Delhi High Court On Rahul Gandhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर अक्सर विपक्षी दलों के नेता सुर्खियों में बने रहते हैं। इनमें राहुल गांधी का अव्वल स्थान है, इस बीच कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ की गई एक और टिप्पणी सुर्खियों में है। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी उस टिप्पणी पर सख्ती दिखाई है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को जेबकतरा कहकर संबोधित किया था।
राहुल गांधी की एक और विवादित टिप्पणी
दिल्ली उच्च न्यायालय का कहना है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का 22 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिया गया भाषण, जिसमें उन्हें 'जेबकतरा' कहा गया था, 'अच्छे स्वाद में नहीं था।' दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग को 8 सप्ताह के भीतर मामले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
जब बयानबाजी के लिए हुआ था राहुल का निलंबन
कर्नाटक के कोलार में राहुल गांधी ने साल 2019 में एक बयान दिया था, जनसभा में उन्होंने कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? राहुल के इस बयान के बाद भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने मानहानी का मामला दर्ज कराया था। गुजरात के सूरत की अदालत ने इसी साल मार्च में राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए उन्हें दो साल कारावास की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी अगले ही दिन लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिए गए थे।
राहुल गांधी की संसद सदस्यता 7 अगस्त को हुई थी बहाल
सुप्रीम कोर्ट ने 'मोदी सरनेम' वाले आपराधिक मानहानि मामले में 4 अगस्त को राहुल गांधी की दोषसिद्धि को निलंबित कर दिया था। इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने 7 अगस्त को एक अधिसूचना के जारी करते हुए राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी थी।
निर्वाचन आयोग ने दलों से ऐसा नहीं करने को कहा
निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के नेताओं से भाषणों में दिव्यांग व्यक्तियों के बारे में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि किसी भी राजनीतिक दल के सदस्यों और उनके उम्मीदवारों को अपने भाषण में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल उनके अपमान के रूप में समझा जा सकता है। बुधवार को राजनीतिक दलों को जारी एक परामर्श में निर्वाचन आयोग ने कहा कि लोकतंत्र की नींव चुनावी प्रक्रिया में सभी समुदायों के प्रतिनिधित्व में निहित है।
परामर्श में कहा गया है, 'विशेष रूप से दिव्यांगजनों की समान भागीदारी सुनिश्चित करना भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के लिए अहम प्राथमिकता रही है, जिससे समझौता नहीं किया जा सकता है। निर्वाचन आयोग नए सिरे से एक बार फिर सख्ती से चुनावों में पहुंच और समावेशिता के सिद्धांत को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।'
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