दिल्ली HC ने विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर BBC को जारी किया नोटिस, पीएम मोदी की छवि बिगाड़ने का आरोप

दावा गया है कि इस वृत्तचित्र में भारत, न्यायपालिका और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाई गई है।

Delhi High court

बीबीसी विवाद

BBC Documentary: दिल्ली ने बीबीसी को उसके वृत्तचित्र (BBC Documentary) के संबंध में मानहानि की एक याचिका को लेकर सम्मन जारी किया है। इसमें दावा गया है कि इस वृत्तचित्र में भारत, न्यायपालिका और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाई गई है। केंद्र सरकार ने इसे लेकर शुरू से ही विरोध जताया था और बाद में इस पर पाबंदी भी लगा दी थी।

बीबीसी ब्रिटेन और बीबीसी भारत को नोटिस जारी

दिल्ली हाई कोर्च ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) को एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से दायर मानहानि के उस मुकदमे में सोमवार को नोटिस जारी किया, जिसमें दावा किया गया है कि उसके एक वृत्तचित्र में भारत, न्यायपालिका और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया गया है। जस्टिस सचिन दत्ता ने बीबीसी (ब्रिटेन) के अलावा बीबीसी (भारत) को भी नोटिस जारी किया है और उनसे गुजरात के गैर सरकार संगठन ‘जस्टिस फॉर ट्रायल’ की ओर से दायर मुकदमे पर जवाब देने को कहा है।

याचिका में कहा गया है कि बीबीसी (भारत) स्थानीय संचालन कार्यालय है और बीबीसी (ब्रिटेन) ने वृत्तचित्र ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ जारी किया, जिसके दो भाग हैं। एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि बीबीसी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा एक वृत्तचित्र के संबंध में दायर किया गया है, जिसने भारत और न्यायपालिक समेत उसके पूरे तंत्र की ‘मानहानि’ की है। उन्होंने दलील दी कि वृत्तचित्र में प्रधानमंत्री पर आक्षेप भी लगाया गया है।

वादी की तरफ से यह दलील दी गई है कि यह वृत्तचित्र मानहानिजनक आरोप लगाती है और देश की प्रतिष्ठा पर दाग लगाती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि सभी स्वीकार्य तरीकों से प्रतिवादियों को नोटिस जारी की जाए। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख तय की है।

जानिए पूरा मामला

बीबीसी ने इसी साल जनवरी में गुजरात दंगे से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री दिखाई थी। इसे लेकर खासा विवाद हुआ था। 22 जनवरी 2022 को केंद्र सरकार ने गुजरात दंगे से संबंधित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक कर दिया। साथ ही यूट्यूब और ट्विटर से कहा गया कि वो इस डॉक्यूमेंटरी को तत्काल प्रभाव से अपने प्लेटफॉर्म से हटा लें। सरकार की तरफ से तर्क दिया गया कि इसकी वजह से देश की सार्वभौमिकता पर खतरा होने के साथ साथ कानून व्यवस्था भी खराब होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि जब भारत की सर्वोच्च अदालत की तरफ से फैसला सुना दिया गया तो इस तरह से मनगढ़ंत डॉक्यूमेंटरी बनाने का कोई अर्थ भी नहीं है।

डॉक्यूमेंट्री में तत्कालीन सीएम की भूमिका पर सवाल

बीबीसी द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री में पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका का जिक्र किया गया था जब 2002 में वह गुजरात दंगों के समय सीएम थे। डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि उस भीषण दंगों में 1 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी जिसमें ज्यादातर मुस्लिम समाज से थे। दंगे की पृष्ठभूमि को साबरमती ट्रेन कांड यानी गोधरा कांड को दिखाया गया है जिसमें कुछ मुस्लिमों ने कारसेवकों से भरी बोगी को आग के हवाले कर दिया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि जिस मामले में अंतिम निर्णय आ चुका हो उस मामले में भ्रामक तरीके से अगर कोई डॉक्यूमेंट्री बनती है तो वो विशुद्ध तौर पर शरारत है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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