सत्येंद्र जैन की बढ़ी मुश्किलें, जानें क्या है CCTV घोटाला मामला; जिसमें दिल्ली के LG ने की जांच की सिफारिश
Delhi News: अरविंद केजरीवाल के करीबी नेताओं में गिने जाने वाले दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीसीटीवी मामले में सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। आपको बताते हैं कि ये मामला क्या है।
सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच की सिफारिश को मिली मंजूरी।
Satyendra Jain in Tension: दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी सरकार क्षेत्र के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। राजनिवास के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। यह मामला राष्ट्रीय राजधानी में सीसीटीवी लगाने में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है।
BJP पर लगाया साजिश रचने का आरोप
आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया कि जैन के खिलाफ मामला उसके और दिल्ली सरकार के खिलाफ भाजपा की "निरंतर साजिशों" का हिस्सा है। दूसरी ओर, भाजपा ने कहा कि जांच की मंजूरी "कोई आश्चर्य की बात नहीं है" और इसकी बहुत पहले से उम्मीद थी। आप ने एक बयान में कहा, 'भाजपा दिल्ली सरकार के कामों को रोकने के लिए दिन-रात उसके खिलाफ लगातार साजिश रच रही है।"
मई 2022 में हुई थी सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी
आप ने दावा किया कि 'पिछले 10 साल में आप के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री (अरविंद) केजरीवाल सहित हमारे शीर्ष नेतृत्व को जेल भेज दिया गया है। यह मामला ‘आप’ को दबाने की दिशा में एक और कदम है"। हालांकि, भाजपा ने जैन को 'दिल्ली कैबिनेट में भ्रष्टाचार का मास्टर' बताया। जैन को मई 2022 में धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं।
7 करोड़ की रिश्वत लेकर माफ किया था जुर्माना!
राज निवास के अधिकारियों के अनुसार, मौजूदा मामले में आरोप लगाया गया है कि जैन ने दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में सीसीटीवी लगाने में देरी के लिए एक कंपनी पर लगाए गए 16 करोड़ रुपये के जुर्माने को माफ करने के लिए सात करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। उन्होंने कहा कि सक्सेना ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने के सतर्कता निदेशालय के प्रस्ताव पर सहमति जताई, ताकि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा जैन के खिलाफ जांच की मंजूरी मिल सके।
फरवरी 2023 में मंत्री पद से दिया था इस्तीफा
अधिकारियों ने बताया कि जैन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री थे और दिल्ली में 571 करोड़ रुपये की लागत से 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की परियोजना के नोडल अधिकारी थे। जैन ने धनशोधन मामले में गिरफ्तारी के कुछ महीने बाद फरवरी 2023 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने बयान में आप ने दावा किया कि उसके नेताओं के खिलाफ बड़ी संख्या में भ्रष्टाचार के मामले दर्ज होने के बावजूद जांच एजेंसियां अभी तक एक भी पैसा बरामद नहीं कर सकी है।
पार्टी की ओर से कहा गया है, 'जब से आप (दिल्ली में) सत्ता में आई है, भाजपा और उसकी केंद्र सरकार ने इसे कमजोर करने और पंगु बनाने की हर संभव कोशिश की है।' इसने आरोप लगाया कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जीएनसीटीडी अधिनियम लागू करना और मोहल्ला क्लीनिकों तथा सरकारी अस्पतालों के लिए दवाओं के भुगतान को रोककर नौकरशाही के माध्यम से जनहित की पहल को बाधित करना शामिल है।'
पार्टी ने कहा कि आप नेताओं के खिलाफ यह 201वां मामला है और 'पिछले 200 मामलों की तरह, भाजपा और उसकी केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को पंगु बनाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि आप एक ईमानदार पार्टी है।' भाजपा की दिल्ली इकाई के प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 'सीसीटीवी लगाने से संबंधित परियोजना से जैन द्वारा प्राप्त रिश्वत' की जांच की मंजूरी बहुत पहले से अपेक्षित थी।
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