दिल्ली शराब नीति घोटाले में दो और आरोपियों को मिली जमानत, अमित अरोड़ा और अमनदीप ढल को हाईकोर्ट से बेल

दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में सीबीआई ने दावा किया था कि अमित अरोड़ा आप नेता मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगी थे और दोनों शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अवैध धन को "प्रबंधित करने और डायवर्ट करने" में सक्रिय रूप से शामिल थे।

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अमित अरोड़ा और अमनदीप ढल्ल को हाईकोर्ट से बेल

मुख्य बातें
  • दिल्ली शराब नीति घाटले में दो और आरोपी आएंगे बाहर
  • अमित अरोड़ा और अमनदीप ढल को हाईकोर्ट से बेल
  • अवैध धन को "प्रबंधित करने और डायवर्ट करने का है आरोप

दिल्ली शराब नीति घोटाले में अब एक के बाद एक आरोपियों को जमानत मिल रही है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह के बाद अब दो और आरोपियों को जमानत मिल गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अमित अरोड़ा और अमनदीप ढल को जमानत दे दिया है।

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दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत

पीटीआई के अनुसार दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आबकारी नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में व्यवसायी अमित अरोड़ा और अमनदीप सिंह ढल को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने दोनों आरोपियों को राहत देते हुए कहा, "जमानत मंजूर की गई।"

दोनों पर क्या है आरोप

गुरुग्राम स्थित बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अरोड़ा को ईडी ने 29 नवंबर, 2022 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने दावा किया था कि अरोड़ा आप नेता मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगी थे और दोनों शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अवैध धन को "प्रबंधित करने और डायवर्ट करने" में सक्रिय रूप से शामिल थे। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के पास नीति तैयार होने के समय आबकारी विभाग था। दोनों केंद्रीय जांच एजेंसियों के अनुसार, ब्रिंडको सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ढल ने कथित तौर पर अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची और वह शराब नीति के निर्माण में "सक्रिय रूप से" शामिल था और AAP को रिश्वत देने और विभिन्न तरीकों से "साउथ ग्रुप" द्वारा इसकी वसूली में मदद कर रहा था।

क्या है दिल्ली शराब नीति घोटाला

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया।

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शिशुपाल कुमार author

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