CBI के बाद अब ED की रिमांड में सिसोदिया, कोर्ट में आज हुए कई अहम खुलासे; जमानत पर 21 को सुनवाई

Delhi Liquor Policy Scam: ईडी ने अदालत से कहा कि कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए विशेषज्ञ समिति के विचारों को स्वीकार किए बिना शराब नीति तैयार की गई थी। नीति को इस तरह से तैयार किया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनिंदा थोक विक्रेताओं को 12 प्रतिशत का लाभ मार्जिन मिले। इसमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई है।

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मनीष सिसोदिया को ईडी की कस्टडी में कोर्ट ने भेजा

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

Delhi Liquor Policy Scam: दिल्ली शराब नीति घोटाले में मनीष सिसोदिया को शुक्रवार को भी कोई राहत नहीं मिली। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 17 मार्च तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया है। वहीं सीबीआई वाले मामले में कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई को टाल दिया है। अब सिसोदिया की जमानत अर्जी पर 21 मार्च को सुनवाई होगी। आज कोर्ट के सामने ईडी और सिसोदिया को वकीलों के बीच जोरदार बहस देखने को मिली। आज सुनवाई के दौरान ईडी ने सिसोदिया की 10 दिन की रिमांड की डिमांड की थी, जिसे लेकर सिसोदिया के वकील ने जोरदार विरोध किया।

कई खुलासे और दावे

शुक्रवार को कोर्ट में ईडी ने दावा किया कि दिल्ली शराब नीति में घोटाले में मनीष सिसोदिया की सीधी भूमिका थी। ईडी ने कहा कि कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए विशेषज्ञ समिति के विचारों को स्वीकार किए बिना नीति तैयार की गई। इस नीति को इस तरह से तैयार किया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनिंदा थोक विक्रेताओं को 12 प्रतिशत का लाभ मार्जिन मिले। जो पूरी तरह से नीति के खिलाफ था। ईडी ने कहा कि उसके पास सबूत है कि यह निर्णय सिसोदिया के इशारे पर किया गया था।

रिमांड क्यों

ईडी ने कहा कि नीति में कुछ चीजें ऐसी थीं जिन पर मंत्रियों के समूह (GOM) ने कभी चर्चा नहीं की। जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि मनीष सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए उसे रिमांड की आवश्कता है।

सिसोदिया के वकील का दावा

पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के वकील ने कोर्ट में ईडी की याचिका का विरोध किया। वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन का कहना है कि नीति बनाना कार्यपालिका का काम है, जो कई चरणों से होकर गुजरती है। उनका कहना है कि दिल्ली की आबकारी नीति को एलजी ने भी मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि पीएमएलए बेहद सख्त कानून है। कृष्णन ने कहा- "अदालत गिरफ्तारी के समय को नजरअंदाज नहीं कर सकती है ... समय आ गया है कि अदालतें इस तरह की गिरफ्तारियों पर सख्त कार्रवाई करें।"

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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