Delhi Liquor Scam: ED ने किया सीएम केजरीवाल की जमानत अर्जी का विरोध, दी ये अहम दलीलें

Delhi Liquor Scam Update: गुरुवार को ईडी ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है उसमें कुछ अहम दलीलें दी गई हैं।

Delhi Liquor Scam Update

ईडी ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना विरोध दर्ज कराया है

मुख्य बातें
  1. ईडी ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना विरोध दर्ज कराया
  2. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है उसमें कुछ अहम दलीलें दी गई हैं
  3. कहा-चुनाव प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक, न संवैधानिक और यहां तक कि कानूनी अधिकार भी नहीं है
Delhi Liquor Scam Update: दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में कल यानी 10 मई को सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत देने पर अपना फैसला सुनाने वाला है वहीं इस केस में आज यानी 9 मई को ईडी ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है।
ईडी ने कहा कि, चुनाव प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक, न संवैधानिक और यहां तक कि कानूनी अधिकार भी नहीं है।

ED ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

-अरविंद केजरीवाल के अंतरिम जमानत की मांग के खिलाफ दाखिल किया हलफनामा
- ईडी ने अपने हलफनामे में कहा- चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और न ही कानूनी अधिकार।
- किसी भी राजनीतिक नेता को चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार क्यों न हो।
- इससे एक मिसाल कायम होगी, जिससे सभी बेईमान राजनेताओं को चुनाव की आड़ में अपराध करने और जांच से बचने का मौका मिलेगा
- राजनेताओं ने न्यायिक हिरासत में चुनाव लड़ा है और कुछ ने जीत भी हासिल की है, लेकिन उन्हें इस आधार पर कभी अंतरिम जमानत नहीं दी गई।
ईडी ने अपने हलफनामे में कहा पिछले 5 साल में देश भर में कुल 123 चुनाव हुए है, अगर चुनाव में प्रचार के आधार पर नेताओं को जमानत दी जाने लगी तो न तो कभी किसी नेता को गिरफ्तार किया जा सकेगा और न ही उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकेगा, क्योकि देश मे हमेशा कोई न कोई चुनाव होता रहता है।
ED ने कहा कि यहां तक कि न्यायिक हिरासत में वोट देने का अधिकार, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैधानिक/संवैधानिक अधिकार माना जाता है, उसे भी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62(5) के आधार पर सीमित कम कर दिया गया है।
ED ने कहा कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और यहां तक कि कानूनी अधिकार भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट 2017 में चुनाव आयोग बनाम मुख्तार अंसारी के मामले में ये फैसला दे चुका है।
ED का कहना है कि इससे गलत मिसाल कायम होगी, उसने कोर्ट में मुद्दा उठाते हुए कहा था कि क्या एक राजनेता को आम आदमी की तुलना में स्पेशल ट्रीटमेंट मिल सकता है?
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गौरव श्रीवास्तव author

टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना...और देखें

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