Delhi Ordinance Row: केजरीवाल को मिला KCR का समर्थन, बोले तेलंगाना CM- अध्यादेश को नाकाम करने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे
Delhi Ordinance Row: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव (KCR) से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केसीआर से समर्थन मांगा।
तेलंगाना के सीएम केसीआर से मिले AAP चीफ अरविंद केजरीवाल
- हैदराबाद में केसीआर से मिले केजरीवाल
- केजरीवाल के साथ थे कई आप नेता
- अध्यादेश मामले पर मांगा समर्थन
Delhi Ordinance Row: केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लगातार समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। इसी क्रम में वो तेलंगाना सीएम और बीआरएस पार्टी के मुखिया केसीआर से शनिवार को मिले। इस दौरान केसीआर ने केजरीवाल से वादा किया वो अध्यादेश के मुद्दे पर आप को सपोर्ट करेंगे और इसे नाकाम करने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे।
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भगवंत मान भी थे साथ
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव (KCR) से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केसीआर से समर्थन मांगा। इस मीटिंग के दौरान केजरीवाल के साथ पंजाब सीएम भगवंत मान, आप नेता राघव चड्ढा, संजय सिंह और अन्य भी मौजूद थे। दोनों नेताओं के बीच बैठक आज दोपहर 1 बजे के बाद हैदराबाद के प्रगति भवन में हुई।
दोनों ने की प्रेस कांफ्रेंस
इस मीटिंग के बाद दोनों नेताओं ने एक प्रेस कांफ्रेंस की और इस मामले पर केसीआर ने केजरीवाल को सपोर्ट करने का ऐलान किया। प्रेस कांफ्रेस में केसीआर ने कहा कि केंद्र सरकार को अध्यादेश को तुरंत वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा- "यह न तो आपके लिए अच्छा है मोदी जी, न ही लोकतंत्र के लिए। हम इस अध्यादेश के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे। हम केजरीवाल के साथ खड़े रहेंगे, अध्यादेश को नाकाम करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में अपनी पूरी ताकत लगा देंगे"
क्या बोले केजरीवाल
इस प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से अपना पुराना राग दोहराया और कहा कि उनके पास कोई पावर नहीं है। केजरीवाल ने कहा- "तेलंगाना सीएम केसीआर और उनकी पार्टी BRS दिल्ली की जनता को न्याय दिलाने के लिए उनके साथ है। ये सिर्फ Delhi की बात नहीं है, ये जनतंत्र को बचाने की लड़ाई है। शीला दीक्षित सरकार के पास ब्यूरोक्रेसी पर कंट्रोल था, लेकिन 2015 में हमारी सरकार आने के 3 महीने बाद ही हमसे पावर छीन ली गई। मैं, मुख्यमंत्री होने के नाते चीफ सेक्रेटरी, हेल्थ सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी की ट्रांसफर, पोस्टिंग कुछ नहीं कर सकता।"
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