I.N.D.I.A. की पहली 'अग्निपरीक्षा' आज, दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में हो सकता है पेश
Delhi Vs Centre: लोकसभा में सोमवार को केंद्र सरकार दिल्ली के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े बिल पेश 'दिल्ली सेवा बिल' को पेश कर सकती है। ऐसा हुआ तो ये कहना गलत नहीं होगा कि I.N.D.I.A. की पहली 'अग्निपरीक्षा' आज होने वाली है। आपको इस बिल से जुड़ी कुछ अहम बातें बतातें हैं।
लोकसभा में 'दिल्ली सेवा बिल' पेश हो सकता है।
Delhi Services Bill News: दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े संशोधन विधेयक को लोकसभा में सोमवार को पेश किया जा सकता है। ऐसी जानकारी सामने आई है कि सांसदों को ये बिल सर्कुलेट कर दिया गया है। बीते लंबे वक्त से दिल्ली बनाम केंद्र की जंग देखी गई है। दिल्ली के ट्रांसफर-पोस्टिंग से केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ बीते लंबे वक्त से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। पिछले कई दिनों से वो अलग-अलग पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर इसी बिल को चुनौती देने के लिए समर्थन मांग कर रहे थे।
आम आदमी पार्टी ने पिछले कई दिनों से सभी विपक्षी सांसदों को एकजुट करने की कोशिश की है। मोदी सरकार के पास लोकसभा में तो बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में विपक्षी सांसद इस बिल को पास नहीं होने देने के लिए पूरी ताकत झोंक देंगे।
'INDIA' गठबंधन के सामने क्या-क्या है चुनौती?
लोकसभा में इस बिल को सोमवार (31 जुलाई) को पेश किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो 'INDIA' गठबंधन के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी। आम आदमी पार्टी इस कोशिश में जुटी है कि किसी तरह इस बिल को पारित होने से रोका दिया जाए। हालांकि मोदी सरकार के पास लोकसभा में तो बहुमत है। हालांकि विपक्षी नेताओं के गठबंधन का असल टेस्ट यहीं पता चलेगा, जब राज्यसभा में आम आदमी पार्टी अन्य विपक्षी सांसदों की मदद से इसे रोकने की कोशिश करेगी। हालांकि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को इस पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है।
इस बिल में किए गए हैं कुछ जरूरी बदलाव
19 मई को केंद्र सरकार ने दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा एक अध्यादेश लाया था। अगर इस बिल की बात की जाए, तो बताया जा रहा है कि इसमें अध्यादेश की तुलना में कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं। संसद में बिल लाने से केंद्र सरकार ने पहले सेक्शन 3A और 45D में जरूरी बदलाव किए हैं। प्रस्तावित विधेयक से धारा 3A को पूरी तरह हटा दिया गया है। अध्यादेश में कहा गया है कि सेवाओं से जुड़े कानून बनाने का अधिकार दिल्ली विधानसभा को नहीं होगा। एलजी/राष्ट्रपति को इस अध्यादेश के जरिए सभी बोर्डों, निकायों, निगमों आदि के सदस्यों/अध्यक्षों आदि की नियुक्ति या नामांकन करने की विशेष शक्तियां मिलती हैं. हालांकि, नए अधिनियम के तहत राष्ट्रपति को यह शक्ति केवल संसद के अधिनियम के माध्यम से गठित निकायों/बोर्डों/आयोगों के संबंध में मिलती है।
6 महीने में अध्यादेश को कानून बनाना जरूरी
पिछले कुछ महीनों से ट्रांसफर-पोस्टिंग के जिस अध्यादेश पर दिल्ली और केंद्र सरकार में ठनी है, उसको केंद्रीय कैबिनेट से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. बता दें कि अध्यादेश राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर लाया जाता है. अगर संसद नहीं चल रही, उस दौरान सरकार कोई नया कानून बनाना चाहती है तो इसे अध्यादेश के रूप में लाया जाता है, लेकिन इस अध्यादेश को छह महीने के अंदर कानून की शक्ल देनी होती है जिसके लिए इसे अगले ही सत्र में संसद में पेश करना होता है. केंद्र सरकार मई महीने में ही यह अध्यादेश लेकर आई थी.
आम आदमी पार्टी को ऐसे मिला विपक्षी दलों का साथ
आम आदमी पार्टी ने इस अध्यादेश के आने के बाद इसके खिलाफ आवाज उठाई। थी. सीएम केजरीवाल ने अध्यादेश को दिल्ली के साथ धोखा करार दिया। केजरीवाल इस कोशिश में जुट गए कि किसी तरह ये कानून ना बने। आम आदमी पार्टी और केजरीवाल इसके लिए विपक्षी दलों को साथ लाने की कोशिश में जुट गए। राज्यसभा में विपक्षी दलों की मदद से केजरीवाल बिल को रोकना चाहते हैं। संसद में इस बिल के पेश होने पर 'INDIA' गठबंधन के सभी दल इसका विरोध करेंगे।
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