Times Now Summit 2024: 'लोहे के चने चबाना मुहावरे का असली मतलब क्या होता है, दिल्ली आकर पता चला'

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने टाइम्स नाउ समिट 2024 में इंडिया अनस्टॉपेबल विषय पर अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने भारत और दिल्ली के विकास पर तो रोशनी डाली ही, साथ ही यह भी बताया कि कैसे उन्हें दिल्ली आकर लोहे के चने चबाना मुहावरे का असली अर्थ पता चला।

VK Saxena.

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना

Times Now Summit 2024: टाइम्स नाउ समिट के चौथे संस्करण के पहले दिन आज दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (LG VK Saxena) ने इंडिया अनस्टॉपेबल टॉपिक पर अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने देश की प्रगति पर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे आज देश आगे बढ़ रहा है। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) से अपनी बात रखनी शुरू की और कहा कि देश के लोग लोकतंत्र के इस पर्व में शामिल होने के लिए तैयार हैं। हर पांच साल में देश की जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। उन्होंने भारत की ग्रोथ की कहानी बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के मिशन में जुटे हैं। इसी दौरान उन्होंने 'लोहे के चने चबाना' (Hard Nuts to Crack) मुहावरे का जिक्र किया और बताया कि उन्हें इसका असली मतलब कब पता चला।
LG वीके सक्सेना ने इंडिया अनस्टॉपेबल टॉपिक पर अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि पिछले एक दशक में पीएम जनधन योजना के तहत देश में 50 करोड़ बैंक अकाउंट खुले। 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के पास आज आधार कार्ड हैं। 120 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास मोबाइल फोन हैं। उन्होंने कहा आज दुनिया देख रही है कि कैसे सड़क पर रेहड़ी-पटरी लगाने वाला भी मोबाइल से अपना बिजनेस चला रहा है।

एक जुगनू अंधकार हर लेता है

उन्होंने डायरेक्ट बैनिफिट ट्रांसफर का भी जिक्र किया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम लिए बिना कहा कि एक समय था जब देश के प्रधानमंत्री ने कहा था कि सेंटर से एक रुपया जाता है तो गांव तक 10 पैसा पहुंचता है। उन्होंने कहा, आज वो बात पुरानी हो चुकी है। उन्होंने एक कहावत का सहारा लिया - 'जब कोई व्यक्ति अंधकार से लड़ने का साहस कर लेता है, तो एकमात्र जुगनू अंधकार को हर लेता है।' उन्होंने कहा, मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
LG ने देश के युवाओं को देश की संपत्ति बताया और भारत में लार्जेस्ट स्टार्टअप इको सिस्टम की बात भी कही। उन्होंने देश के एयरपोर्ट, हाईवे, एक्सप्रेसवे के निर्माण और पीएम गतिशक्ति योजनाओं पर भी रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि कैसे देश आज ईवी के क्षेत्र में दुनिया के चोटी के देशों में शामिल है। उन्होंने दिल्ली में अपने द्वारा किए गए कार्यों पर भी प्रकाश डाला।

लोहे के चने चबाना यहीं समझ आया

दिल्ली में अपने कार्यों के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया। यही नहीं उन्होंने अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी। लेकिन इस दौरान उन्होंने कहा, बचपन में हम सबने एक मुहावरा सुना था - लोहे के चने चबाना... उस समय हमें इसका अर्थ बाताया जाता था मुश्किल काम करना। दिल्ली के उपराज्यपाल ने बताया कि इस मुहावरे का सही अर्थ मुझे दिल्ली आकर ही मालूम पड़ा। उन्होंने आगे कहा - 'यहां हर काम को करने के लिए लोहे के चने ही चबाने जैसा है। आप जिस काम को करने की कोशिश करते हैं, उससे ज्यादा बड़ी फोर्सेस उस काम को रोकने की कोशिश करती हैं। और अगर आपने वो काम कर लिया, तो कुछ फोर्सेस उसका श्रेय अपने ऊपर लेने की भी कोशिश करती हैं। तो ऐसे हालात में दिल्ली में काम करना वाकयी में लोहे के चने चबाने जैसा ही है।'
उन्होंने कहा, लेकिन मैं ये कहना चाहूंगा कि उसके बावजूद भी काम हुए हैं। ना मैं गिरा, ना मेरी उम्मीद के मीनार गिरे... हां मुझे गिराने में कई लोग कई बार गिरे... इस शायरी के साथ एलजी ने अपनी बात समाप्त की।
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