दिल्ली ट्रांसफर पोस्टिंग मामला: अध्यादेश के खिलाफ समर्थन के लिए हेमंत सोरेन से मिले केजरीवाल, जानिए क्या हुई बात

Delhi Transfer Posting Matter: दिल्ली में आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ समर्थन के लिए देश के तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल मुलाकात कर रहे हैं। उन्होंने आज झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की।

झारखंड सीएम हेमंत सोरेन से मिले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल

Delhi Transfer Posting Matter: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। इसी क्रम में अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रांची जाकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत मुलाकात की और उनसे अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगा। गौर हो कि अध्यादेश को कानून बनाने के लिए छह महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों से पास करना होता है। राज्यसभा में विपक्ष मजबूत है। अगर सभी विपक्षी दलों के सांसदों के वोट विरोध में पड़े तो सरकार का यह अध्यादेश पास नहीं हो पाएगा।

हेमंत सोरेन से मुलाकात के बाद बोले केजरीवाल

दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश को लेकर रांची में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम देश भर में जा रहे हैं और हमें सभी पार्टियों से अच्छा सहयोग मिला है। मैं हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी को धन्यवाद देता हूं। इस अध्यादेश के खिलाफ हमें सभी समर्थन का आश्वासन दिया। मैं अन्य सभी पार्टियों से भी इस अध्यादेश का विरोध करने की अपील करता हूं। यह अध्यादेश मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। बीजेपी के पास लोकसभा में बहुमत है लेकिन राज्यसभा में नहीं। इसलिए अगर सभी गैर-बीजेपी पार्टियां एक हो जाएं तो इस अध्यादेश को हराया जा सकता है। यह सिर्फ दिल्ली की बात नहीं है बल्कि देश के संघीय सिद्धांतों की बात है।

हेमंत सोरेन ने कहा...

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन कहा कि केंद्र सरकार संघीय ढांचे की बात करती है, लेकिन कार्य इसके बिल्कुल विपरीत करती है। आज साफ है कि जो पार्टियां केंद्र सरकार की सहयोगी नहीं हैं, वे लगभग उसी स्थिति का सामना कर रही हैं। यह चिंता का विषय है।

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