मोदी सरकार का किया Demonetisation आया SC जांच के दायरे में, बोला केंद्र- अतीत में न लौटें

दरअसल, जस्टिस एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय कॉन्सिट्यूश्नल बेंच (संविधान पीठ) नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर फिलहाल सुनवाई कर रही है। इस पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रमासुब्रमण्यन और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना शामिल हैं। मामले की सुनवाई अधूरी रही और इस पर पांच दिसम्बर को फिर सुनवाई होगी।

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नोटबंदी (साल 2016 में) की कवायद के बारे में नए सिरे से विचार करने के सुप्रीम कोर्ट के प्रयास का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि टॉप कोर्ट ऐसे केस में फैसला नहीं कर सकता, जब ''अतीत में लौटकर'' भी कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती। शुक्रवार (25 नवंबर, 2022) को अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि की यह टिप्पणी तब आई, जब शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से यह बताने के लिए कहा कि क्या उसने 2016 में 500 रुपए और 1000 रुपए के के नोट को अमान्य करार देने से पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड से परामर्श किया था?

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बेंच ने आगे कहा, "आपने यह दलील दी है कि मकसद पूरा हो चुका है। लेकिन हम इस आरोप का समाधान चाहते हैं कि अपनाई गयी प्रक्रिया ‘त्रुटिपूर्ण’ थी। आप केवल यह साबित करें कि प्रक्रिया का पालन किया गया था या नहीं।’’ कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई जब वेंकटरमणि ने नोटबंदी नीति का बचाव किया और कहा कि कोर्ट को कार्यकारी निर्णय की न्यायिक समीक्षा करने से बचना चाहिए।

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