एक बार फिर जेल से बाहर आया गुरमीत राम रहीम, बागपत आश्रम में बिताएगा 21 दिन

Gurmeet Ram Rahim Singh: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है। आज वह हरियाणा की सुनारिया जेल से बाहर आ गया। फरलो की अविध वह यूपी के बागपत में बने आश्रम में बिताएगा।

Ram Rahim

जेल से बाहर आया गुरमीत राम रहीम।

Gurmeet Ram Rahim Singh: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर से जेल से बाहर आ गया है। उसे 21 दिन की फरलो दी गई है। जानकारी के मुताबिक, करीब 6:30 बजे से सुनारिहा जेल से पुलिस सुरक्षा में बाहर निकाला गया। 21 दिन की फरलो मिलने के बाद राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बरवाना आश्रम में फरलो की अवधि बिताएगा। बता दें, राम रहीम को फरलो तब मिली है जब पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा दायर एक याचिका निपटारा कर दिया था।

इस याचिका में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अस्थायी रूप से रिहा किए जाने को चुनौती दी गई थी। याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने कहा कि अस्थायी रिहाई की याचिका पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा बिना किसी मनमानी या पक्षपात के विचार किया जाना चाहिए। यह आदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की पीठ द्वारा सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रखने के एक दिन बाद आया था। शीर्ष गुरुद्वारा संस्था एसजीपीसी ने सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की अस्थायी रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की थी।

बलात्कार के आरोप में सजा कटा रहा राम रहीम

बता दें, एसजीपीसी ने तर्क दिया था कि डेरा प्रमुख हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए कई सजाएं काट रहा है और अगर उसे रिहा किया गया तो इससे भारत की संप्रभुता और अखंडता खतरे में पड़ जाएगी और सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राम रहीम अपनी दो अनुयायियों से बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहा है और रोहतक जिले की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 19 जनवरी को 50 दिन की पैरोल दी गई थी।

एसजीपीसी की दलील दाखिल

अदालत ने बीते शुक्रवार को अपने आदेश में एसजीपीसी की इस दलील को खारिज कर दिया कि डेरा प्रमुख को पैरोल देने पर विचार करते और उसे मंजूरी देते समय हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थाई रिहाई) अधिनियम, 2022 के बजाय हरियाणा सदाचारी बंदी(अस्थायी रिहाई) अधिनियम, 1988 को लागू किया जाना चाहिए था। अदालत ने कहा कि प्रतिवादी संख्या नौ (डेरा प्रमुख) के मामले में सक्षम प्राधिकारी पुलिस संभागीय आयुक्त हैं। आदेश में कहा गया, अदालत यह देखना चाहेगी कि यदि प्रतिवादी संख्या नौ द्वारा अस्थायी रिहाई के लिए कोई आवेदन किया जाता है, तो उस पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा सख्ती से 2022 के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार और मनमानी या पक्षपात या भेदभाव के बिना विचार किया जाए।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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